नोटबंदी से आम आदमी अब भी राहत महसूस नहीं कर पा रहा। रोजमर्रा के काम तो जैसे-तैसे चल जा रहे, लेकिन जरूरी कामों के लिए हाथ तंग बने हुए हैं। कारण, ग्रामीण क्षेत्र के बैंकों से अब भी 2 से 3 हजार रुपये ही घंटों लाइन लगने के बाद मिल रहे हैं।
बैंक कर्मी भी पर्याप्त कैश मिलने पर ही ग्राहकों द्वारा मांगी जानी वाली पूरी रकम देने की बात कह कर लौटा रहे हैं। अमर उजाला ने नोटबंदी के 50 दिन पूरे होने पर विभिन्न वर्गों से बात की, तो उनका नजरिया कुछ इस तरह रहा।
खाद खरीदने के लिए संकट बरकरार
नोटबंदी की शुरुआत से ही जो आर्थिक संकट शुरू हुआ, वह अभी दूर नहीं हो सका है। रिश्तेदारों से उधार लेकर किसी तरह रबी की फसल की बुआई की। खाद खरीदने के लिए अब भी समस्या बनी हुई है। यदि ऐसा ही रहा, तो आगे और भी समस्या खड़ी होगी। दैनिक खर्च की तमाम जरूरतों के लिए भी खाते में रखा पैसा आसानी से नहीं मिल पा रहा।
गिरिजा प्रसाद, किसान
काम मिलना हो गया बंद
मजदूरी कर किसी तरह परिवार का खर्च चला रहे थे। नोटबंदी के बाद से काम मिलना भी कम हो गया है। जो लोग काम कराते भी हैं, वह समय पर पूरा भुगतान नहीं करते। ऐसे में बड़ा आर्थिक संकट खड़ा होता जा रहा है। सुना जा रहा है कि शीघ्र ही यह संकट दूर हो जाएगा। शीघ्र ही संकट दूर नहीं हुआ, तो परिवार का खर्च चलाना मुश्किल हो जाएगा।
रामलाल, मजदूर
व्यापार पर दूर नहीं हुआ संकट
नोटबंदी का असर व्यवसाय पर बना है। कैश की कमी होने से संभल कर खर्च कर रहे हैं। 50 दिन बीतने पर उम्मीद थी कि स्थिति सामान्य हो जाएगी, लेकिन फिलहाल ऐसा होता नजर नहीं आ रहा है। अब तक तो किसी को उधार देकर, तो किसी से दो तीन बार में पैसा लेकर सामान दे दिया गया, लेकिन संकट बरकरार रहता है, तो बड़ी समस्या हो सकती है।
हिमांशु गुप्ता, दुकानदार
हालात में दिखने लगा सुधार
नोटबंदी के बाद हालात में अब सुधार आ रहे हैं। बैंकों के सामने अब लंबी लाइन इक्कादुक्का जगहों पर दिख रही है। एटीएम के सामने भी मारामारी जैसे माहौल नहीं हैं। ऐसे में हालात तेजी से सामान्य हो रहे हैं। सरकार को चाहिए कि जो एटीएम बंद पड़े हैं, उन्हें भी जल्दी शुरू कराया जाए। कैश की उपलब्धता और बढ़ाया जाना चाहिए।
-डा. मुकुल त्रिपाठी, चिकित्सक
तय करने होंगे कारगर प्रबंध
उम्मीद थी कि 50 दिन बीतने पर कैश का संकट दूर हो जाएगा, लेकिन फिलहाल ऐसा होता नजर नहीं आ रहा है। इन 50 दिनों में नोटबंदी का असर व्यवसाय पर पड़ा है। कैश की कमी के कारण लोग ट्रैक्टर आदि की खरीदारी से बच रहे हैं। फैसला बढ़िया है, लेकिन अब आगे दिक्कत न हो, इसे लेकर और ज्यादा कारगर प्रबंध करने होंगे।
-प्रदीप पांडेय, ट्रैक्टर एजेंसी संचालक