देश में कोरोना वायरस के संक्रमण के नए मामले लगातार घट रहे हैं। पिछले सात दिनों के दौरान रोज संक्रमण के मामले 65 हजार से कम दर्ज किए गए। वहीं, गुरुवार को लगातार चौथे दिन नये मामलों की संख्या 60,000 से नीचे रही। सितंबर के मुकाबले अक्टूबर में जहां टेस्ट की संख्या बढ़ी, वहीं मामलों के पॉजिटिव आने की दर 2.5 फीसदी घट गई। सक्रिय मामले भी 10 फीसदी से नीचे बने हुए हैं। स्वस्थ होने की दर भी 89.20 फीसदी है। विशेषज्ञों के मुताबिक, इन सभी राहत भरे रुझानों के बावजूद चुनौतियां बरकरार हैं। उनका कहना है कि त्योहारों का मौसम आ चुका है और ठंड दस्तक देने वाली है। ऐसे में जरा सी लापरवाही संक्रमण बढ़ने का बड़ा खतरा पैदा कर सकती है।
देश में मृत्यु दर और सक्रिय मामलों की दर में भी लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है। मृत्यु दर गिरकर 1.51% हो गई। इसके अलावा सक्रिय मामले जिनका इलाज चल है उनकी दर भी 10 फीसदी से कम है। वल्र्डोमीटर के मुताबिक, सक्रिय मामले और कोरोना संक्रमितों की संख्या के हिसाब से भारत दुनिया का दूसरा सबसे प्रभावित देश है। मौत के मामले में अमेरिका और ब्राजील के बाद भारत तीसरे स्थान पर है।
तीन बड़ी चुनौतियां
1. त्योहार : विशेषज्ञों ने चेताया है कि त्योहारों में भीड़ से कोरोना वायरस संक्रमण के मामले बढ़ सकते हैं। उन्होंने लोगों को त्योहार मनाते वक्त कई सावधानी बरतने की सलाह दी है। बाजार में भीड़-भाड़ से बचने को कहा है। त्योहारों में संक्रमण के केस बढ़ने का मामला केरल में देखा जा चुका है, जहां ओणम के बाद मामले लगातार बढ़ रहे हैं।
2. मौसम : ऐसी कई रिपोर्ट और स्टडी सामने आ चुकी हैं, जिनमें दावा किया गया है कि ठंड के मौसम में कोरोना वायरस के मामलों में वृद्धि आ सकती है। स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन का कहना है कि कोरोना एक रेस्पिरेट्री वायरस है और ऐसे वायरस को ठंड के मौसम में बढ़ने के लिए जाना जाता है। रेस्पिरेट्री वायरस ठंड के मौसम और कम आर्द्रता की स्थिति में बेहतर तरीके से पनपते हैं। यूरोप और अमेरिका इसके बड़े उदाहरण हैं। यहां ठंड शुरू होते ही पहली लहर के मुकाबले रोज नए मामलों में बढ़ोत्तरी दर्ज की जा रही है। फ्रांस में तो गर्मियों के मुकाबले ज्यादा केस दर्ज किए जा रहे हैं।
3. वैक्सीन : फिलहाल दुनिया में कोरोना की न तो कोई दवा और न ही कोई वैक्सीन मौजूद है। अगले साल फरवरी तक इसके आने की उम्मीद है। ऐसे में संक्रमण से बचने के लिए सावधानी बहुत जरूरी है। देश में कोरोना वैक्सीन पर वैज्ञानिकों की उच्च स्तरीय टीमें निरंतर जुटी हुई है। देसी कोरोना वैक्सीन कोवैक्सीन का आखिरी ट्रायल अगले महीने से शुरू होने वाला है। ऐसे में इसके फरवरी तक आने की उम्मीद जताई जा रही है।