बिहार की सियासत में लालू यादव ने 90 के दशक में यादव-मुस्लिम (M-Y) का ऐसा राजनीतिक समीकरण बनाया, जिसके दम पर उनकी पार्टी ने 15 साल तक राज किया
बिहार की राजनीति में यादव और मुस्लिम काफी निर्णायक भूमिका में हैं. मुस्लिम-यादव सूबे में करीब 16-16 फीसदी हैं, जो 1990 के बाद से अभी तक लालू यादव के साथ मजबूती के साथ खड़ा हुआ है. 1989 के भागलपुर दंगों के बाद मुसलमानों ने कांग्रेस के खिलाफ मतदान किया, जिसके कारण लालू प्रसाद के नेतृत्व में बिहार में जनता दल की सरकार बनी. इसके बाद लालू यादव की पार्टी ने 15 सालों तक बिहार पर शासन किया, जिसमें मुस्लिम-यादव फॉर्मूले की अहम भूमिका रही थी.
लालू के वोट बैंक पर एनडीए की नजर
आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव के यादव-मुस्लिम समीकरण पर नीतीश कुमार की नजर है. यही वजह है कि जेडीयू प्रमुख नीतीश कुमार ने 115 प्रत्याशियों के नाम का ऐलान कर दिया है, जिसमें उन्होंने 11 सीटों पर मुस्लिम और 19 सीटों पर यादव समुदाय से उम्मीदवार बनाया है. इस तरह से कुल 30 सीटों पर उन्होंने यादव-मुस्लिम को टिकट दिया है. इतना ही नहीं नीतीश कुमार की सहयोगी बीजेपी ने भले ही मुस्लिम को टिकट अभी तक न दिया हो, लेकिन एक दर्जन यादव कैंडिडेट जरूर उतारे हैं.