नौनिहालों और गर्भवती महिलाओं की स्वास्थ्य रक्षा के लिए शासन ने तीन महीने पूर्व हौसला पोषण योजना का शुभारंभ किया था। इसके लिए अलग अलग दिनों के लिए मीनू निर्धारित कर शिशुओं और महिलाओं को पौष्टिक आहार देने के निर्देश दिए गए थे। लेकिन अब यह योजना अल्प समय में दम तोड़ रही है। बजट के अभाव में यह योजना दो महीने से ठप है। हाट कुक्ड योजना का भी यही हाल है। यह तीन महीने से बंद है।
जिले में दो से पांच वर्ष तक के बच्चों की संख्या दो लाख अस्सी हजार है। जबकि दो वर्ष से नीचे की आयु के 48 हजार बच्चे हैं। कुल मिलाकर तीन लाख 28 हजार बच्चे जनपद के 2587 आंगनबाड़ी केंद्रों पर पंजीकृत हैं। सरकार की ओर से इनमें से कमजोर बच्चों के लिए पौष्टिक आहार देने के लिए हौसला पोषण योजना का शुभारंभ किया गया। इस योजना के तहत तहड़ी से लेकर मौसमी फल, दूध, दलिया और देशी घी तक का वितरण किए जाने का प्रावधान है।
आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से यहां आने वाले शिशुओं , बच्चों और महिलाओं को इन पौष्टिक खाद्य पदार्थों का वितरण किया भी गया। लेकिन अब इस योजना के लिए नवंबर माह का बजट ही नहीं आया। इसलिए उसी महीने से यह योजना पूरी तरह ठप है। इसी तरह आंगन बाड़ी के बच्चों को गरमागरम भोजन देने के लिए हाटकुक्ड योजना संचालित होती थी। लेकिन अब यह भी तीन महीने से बंद है। इसके लिए बजट ही नहीं है। अब इन केंद्रों पर केवल पहले से चल रहा पोषाहार का वितरण ही हो रहा है।