कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए किए गए लॉकडाउन से जहां जनजीवन प्रभावित हुआ है, वहीं पर्यावरण के लिए यह सकारात्मक परिणाम लेकर आया है। वायु गुणवत्ता सुधरने के बाद अब रामगंगा नदी पर भी इसका अच्छा प्रभाव देखने को मिल रहा है। एक बड़े नाले की तरह सिमटती जा रही नदी अब वापस अपने स्वरूप में आने लगी है। नदी के किनारे रहने वाले लोगों का कहना है कि सुबह के समय नदी का पानी एकदम स्वच्छ हो जाता है। पर्यावरणविद् का कहना है कि पानी देखने से 50 फीसदी सुधार का अनुमान है।
शहर में रामगंगा नदी में लगभग 20 नालों का सीवेज गिरता है। इसके अलावा शहर में करीब तीन सौ पीतल की भट्ठियां संचालित की जा रही हैं। इससे निकलने वाला प्रदूषित पानी सीधे रामगंगा में गिरता है। इसकी वजह से रामगंगा के पानी में रासायनिक पदार्थ भी पहुंच रहे थे। लॉकडाउन होने से शहर की सभी औद्योगिक इकाईयां बंद हैं। इसकी वजह से रामगंगा का पानी साफ होने लगा है।
क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी अब लॉकडाउन हटते ही नदियों के पानी की गुणवत्ता की जांच शुरू करेंगे। नैम्प (नेशनल एयर मॉनीटरिंग प्रोजेक्ट) की समन्वयक डॉ. अनामिका त्रिपाठी का कहना है कि पीतल और अन्य धातुओं की धुलाई का काम बंद हो गया है। घरों का कचरा सीमित है, इसकी वजह से पानी में गंदगी नहीं पहुंच रही है।
अगवानपुर की तरफ डॉल्फिन देखी गई थी। यदि इस तरह स्वच्छ पानी रहा तो यहां पर भी डॉल्फिन दिखने की संभावनाएं हैं। पानी को देखकर लग रहा है कि 50 फीसदी सुधार आया है। बाकी बीओडी (बायोलॉजिकल ऑक्सीजन डिमांड), सीओडी (कैमिकल ऑक्सिजन डिमांड), डीओ (डिजोल्व ऑक्सीजन) का स्तर परखने के बाद ही पता चलेगा। जितना बीओडी अधिक होता है, पानी उतना गंदा होता है, जबकि डीओ अधिक होने पर पानी साफ होता है। अन्य कई रसायनों को भी परखा जाता है।
फसलों पर दिखने लगा असर
किसानों का कहना है कि नदी किनारे उगने वाली सब्जियों की सिंचाईं रामगंगा नदी के पानी से की जाती है। पहले सब्जियों की फसल झुलस जाती थी, लेकिन अब दस-12 दिन में ही फसलों की रंगत बदलने लगी है। टमाटर, तोरई आदि पहले से अधिक चमकदार होने के साथ स्वादिष्ट लगने लगी हैं।