कोरोना वायरस से भारत की लड़ाई का मोर्चा तब कमजोर पड़ गया जब बीते दिनों दिल्ली के निजामुद्दीन इलाके में तब्लीगी जमात के एक आयोजन में करीब दो हजार लोग जमा मिले। इनमें देश के विभिन्न हिस्सों से आए लोग तो थे ही, विदेश से आए मजहबी प्रचारक भी थे। इनमें तमाम कोरोना वायरस से संक्रमित मिले। इस जमात ने अपने जमावड़े के दौरान जरूरी सावधानी बरतने से इन्कार करने के साथ दिल्ली सरकार, दिल्ली पुलिस और भारत सरकार के निर्देशों की अनदेखी भी की।
इसकी पुष्टि इस मरकज के मौलाना साद के इस बयान से होती है कि मुसलमानों को कोरोना का कोई डर नहीं और फिर मरने के लिए मस्जिद से अच्छी जगह और क्या हो सकती है। ऐसे बयान देकर इस मौलाना ने एक तरह से जानबूझकर कोरोना वायरस का संक्रमण बढ़ाने का काम किया। तब्लीगी जमात की इस हरकत के भयानक नतीजे सामने आए। इस मरकज से निकाले गए लोगों में से अभी तक करीब एक हजार लोग कोरोना संक्रमित पाए गए हैं।
शायद इसी कारण प्रधानमंत्री ने प्रकाश फैलाने का संदेश देते वक्त भी देशवासियों को अनुशासित रहने और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने का अनुरोध किया। लोगों को इस अनुरोध के अनुरूप ही आचरण करते हुए सभी निर्देशों का पालन करना चाहिए। चूंकि आने वाला समय कठिनाई भरा रहने वाला है इसलिए केंद्र और राज्य सरकारों को न केवल इस पर ध्यान देना होगा कि जरूरी वस्तुओं की कहीं कोई कमी न होने पाए, बल्कि इस पर भी कि शहरों से लेकर गांवों तक में कोरोना के संदिग्ध मरीजों के परीक्षण का काम तेज हो। यह अच्छा है कि कोरोना के मरीजों की पहचान के काम में तेजी लाई जा रही है, लेकिन लोगों को यह तो ध्यान रखना ही होगा कि यह वह लड़ाई है जिसे उनके सहयोग के बिना जीतना नामुमकिन है।