देश में एन-19 और एन-99 मास्क की कमी है। सरकार ने उपलब्ध संसाधनों को मेडिकल फील्ड में काम कर रहे लोगों की जरूरतों को पूरा करने के लिए लगाने को कहा है। मगर देश में सर्जिकल मास्क काफी मात्रा में उपलब्ध हैं और इनकी सप्लाई भी काफी है। हालांकि इसमें एक दिक्कत है। सर्जिकल मास्क को कुछ घंटों के बाद बदल देना चाहिए। ऐसे में इसे पहनना भी आर्थिक रूप से महंगा साबित हो सकता है। ऐसे में सरकार ने सलाह दी है कि लोग घर पर सूती कपड़े के मास्क बनाएं और इन्हें पहनें, सिर्फ इन्हें हर बार प्रयोग के बाद अच्छी तरह धो लें। आइये जानते हैं आम लोगों के जीवनरक्षक इस मास्क के बारे में:
- चश्मा पहनते हैं, तो उसे सैनिटाइज करें
- मास्क के सामने वाले हिस्से पर हाथ न लगाएं
- फीते को कान पर या सिर पर उचित तरह से बांधें
- हाथ को अच्छी तरह हैंड सैनिटाइजर या साबुन से साफ करें
- मास्क और मुंह के बीच किसी प्रकार का अंतर नहीं रहना चाहिए
- फीते सबसे पहले खोलें और हाथ तुरंत सैनिटाइज करें या धो लें
- मास्क उतारते समय भी उसके सामने वाले हिस्से पर हाथ न लगाएं
- मास्क को गले में लटकाने की गलती न करें, इससे खतरा बहुत बढ़ जाएगा
- 70 फीसद तक कोरोना वायरस रोकने में घरेलू मास्क कामयाब रहता है
- इसे बनाना, साफ-सफाई और इसका सामान आसानी से उपलब्ध रहता
- कोरोना वायरस से बचाव के लिए मास्क पहनना कितना कारगर होगा, यह मास्क की दक्षता पर भी निर्भर करता है। आज बाजार में कई तरह के मास्क उपलब्ध हो गए हैं। इनमें अधिकांश ऐसे हैं, जो चिकित्सकीय दृष्टि से ज्यादा कारगर नहीं हैं। कोरोना से सुरक्षा के लिए सीमित मास्क ही हैं जो वायरस को रोकने में सक्षम हैं, बाकी बैक्टीरिया और धूलकण रोकने तक ही सीमित हैं।