कोरोना वायरस के संक्रमण को लेकर दिल्ली के निजामुद्दीन मरकज और उसके अमीर मौलाना साद सुर्खियों में हैं। तब्लीगी जमात निकालने की शुरुआत ही शामली जिले के कांधला कस्बे के रहने वाले मौलाना इलियास ने की थी। वह साद के परदादा थे। पहली जमात भी कांधला के लोगों की निकली थी, इसके बाद यह दुनिया भर में फैलती चली गई।
दरअसल, तब्लीगी जमात की शुरुआत 1927 में बताई जाती है। दिल्ली के निजामुद्दीन क्षेत्र में इसका मरकज (अंतरराष्ट्रीय केंद्र) है, जहां से दुनियाभर के लिए जमात भेजी जाती हैं। तब्लीगी जमात के अमीर मौलाना साद मूल रूप से शामली के कांधला कस्बा निवासी हैं। पूर्व में मौलाना साद के परदादा मौलाना इलियास, फिर मौलाना यूसुफ और 1965 में मौलाना यूसुफ का इंतकाल होने के बाद मौलाना इनामउल हसन ने तब्लीगी जमात की जिम्मेदारी संभाली। मौलाना इनामउल हसन ने 1993 में दस सदस्यों की कमेटी बनाई, जिसमें अलग- अलग देशों के लोगों को शामिल किया। भारत से मौलाना इनामउल हसन, मौलाना साद, मौलाना जुबैर और मौलाना अब्दुल वहाब को जगह दी गई थी।