Ashok Kumar Gupta |योग गुरु बाबा रामदेव सात्विक व अहिंसक जीवन पद्धति का अनुकरण कर रहे हैं। वे कहते हैं कि महामारी के इस कठिन समय से पार पाने के लिए हमारे पास घर (आश्रम) में रुकने के सिवा दूसरा विकल्प नहीं है। लेकिन, इस अवधि में हम स्वस्थ, सात्विक व अहिंसक जीवन पद्धति अपनाकर चुनौतियों से निपटने के लिए ऊर्जा प्राप्त कर सकते हैं।
मैं स्वयं भी यही कर रहा हूं। सुबह चार बजे उठकर प्राकृतिक नियमों का पालन करने के बाद स्नान, ध्यान, योग, यज्ञ व हवन में करीब तीन घंटे का समय देता हूं। यह मेरी हमेशा की दिनचर्या है। रात दस बजे सोकर सुबह चार उठ जाना स्वस्थ शरीर एवं स्वस्थ मस्तिष्क की निशानी है। बाबा बताते हैं कि सुबह उठने पर वह गुनगुने पानी में आमला, ऐलोवेरा या फिर गिलोय व तुलसी का सेवन करते हैं। इससे शरीर को आंतरिक ऊर्जा मिलती है। पाचन तंत्र मजबूत होता है। रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है। कभी-कभी लहसुन या फिर शहद के साथ प्याज का रस भी ले लेते हैं। यह वात रोगों में लाभदायी और खून को पतला करता है। जरूरी होने पर वह गर्म पानी में नींबू-अदरक भी लेते हैं। यह सामान्य स्वास्थ्य के लिए भी अच्छा है। चायकॉफी तो वह बिल्कुल नहीं लेते।
एकांत-ध्यान और सात्विक आहार : बाबा बताते हैं कि शारीरिक ऊर्जा बनाए रखने के लिए बीच-बीच में मैं फलाहार के साथ तरल पेय का सेवन करता हूं। दोपहर का भोजन दो से तीन बजे के बीच हो जाता है। इसमें अन्न, खासकर गेहूं- चावल की मात्रा सूक्ष्म और बिना तेल-मसाले की दाल, हरी सब्जी व सलाद की मात्रा ज्यादा होती है। संध्या काल में एकांत-ध्यान और विशेष कार्य न होने पर कुछ देर विश्राम के बाद वह जिम्मेदारियों से संबंधित कार्यों में समय देता हूं। रात का अल्पाहार सात से आठ बजे के बीच हो जाता है और इसके तीन घंटे बाद सोने चला जाता हूं। लेकिन, सोने से पहले खुले में टहलना कभी नहीं भूलता।