स्मार्ट सिटी शहरों की रैंकिंग में लखनऊ ने एक महीने में 20 अंकों की छलांग लगाई है। शुक्रवार को जारी ताजा रैंकिंग में अपना शहर 42वें से 24वें स्थान पर पहुंच गया है। स्मार्ट सिटी की योजनाओं की प्रगति के आधार पर केंद्र सरकार ने रैंकिंग जारी की है।
स्मार्ट सिटी योजना में अपना शहर वर्ष 2016 में चुना गया था। इसके बाद काम शुरू होने में दो साल लग गए, पर डेढ़ साल से इसमें तेजी आई है। इससे रैंकिंग सुधर रही है। एक महीने पहले अपना शहर 42वें स्थान था। इसके बाद टेंडर, वर्क ऑर्डर और काम शुरू होने पर यह शुक्रवार को 24वें स्थान पर आ गया।
स्मार्ट सिटी योजना में शहर के काम-काज और अवस्थापना सुविधाओं को स्मार्ट बनाने के लिए 2100 करोड़ रुपये की योजनाएं बनी थीं। इनमें ज्यादातर अमृत मिशन व अन्य योजनाओं से मिलने वाले बजट (कंवर्जन) से पूरी की जानी थीं। करीब 850 करोड़ की योजनाएं केंद्र और राज्य सरकारी से योजना को लेकर मिलने वाले बजट से पूरी की जानी है। इसे लेकर अब सभी टेंडर जारी करने का काम पूरा कर लिया गया है
ज्यादातर योजनाओं का काम शुरू
स्मार्ट सिटी कंपनी के सीईओ व नगर आयुक्त इंद्रमणि त्रिपाठी ने बताया कि सभी 850 करोड़ रुपये के काम के टेंडर हो गए हैं। सबसे बड़ा आईटीएमएस का प्रोजेक्ट भी लगभग पूरा है। जल्द इसका लोकार्पण भी होगा। कैसरबाग क्षेत्र में 300 करोड़ से सीवर लाइन बिछाने का काम चालू है।
पार्कों के सौंदर्यीकरण का काम चालू है तो कमांड कंट्रोल सेंटर भी लगभग पूरा है। पार्कों में हेल्थ एटीएम, स्मार्ट सिटी मिशन के तहत एबीडी क्षेत्र के सभी प्राइमरी सरकारी स्कूलों की मरम्मत व सुदृढी़करण और स्मार्ट क्लास बनाने, खराब हाल में पहुंच चुकी केडी सिंह बाबू स्टेडियम की दो डारमेट्रियों को बेहतर बनाने, दिव्यांग फ्रेंडली बनाने, अमीरुद्दौला पब्लिक लाइब्रेरी का सौंदर्यीकरण, संरक्षण व डिजिटाइजेशन किया जाएगा।
वहीं, सरकारी भवनों पर सोलर रूफ टाफ, एबीडी एरिया के स्कूलों में आरो प्लांट लगाने आदि योजनाओं के टेंडर हो गए हैं। ज्यादातर का कार्यादेश जारी कर दिया गया है और बाकी का वर्क ऑर्डर जल्द जारी हो जाएगा।
केंद्र ऐसे तय करता है स्मार्ट सिटी रैंकिंग
स्मार्ट सिटी कंपनी के महाप्रबंधक एसएफए जैदी ने बताया कि काम की प्रगति के आधार पर केंद्र सरकार रैंकिंग जारी करती है। काम की हर छोटी-बड़ी जानकारी केंद्र सरकार के पोर्टल पर अपलोड की जाती है। उसके साक्ष्य के तौर पर दस्तावेजों की कॉपियां स्कैन कर अपलोड की जाती है।
रैंकिंग को लेकर जो आधार है, उसमें देखा जाता है कि कितने टेंडर हुए, कितनों के कार्यादेश जारी हुए, कितनी योजनाएं शुरू हुईं और कितना बजट खर्च हुआ। हर पहलू की पूरी मॉनीटरिंग के बाद कें द्र सरकार रैंकिंग तय करती है।
ताजा रैंकिंग से बढ़ा उत्साह
केंद्र सरकार की ताजा रैंकिंग से उत्साह बढ़ा है। यह कोशिश है कि अपना शहर जल्द देश की काम की प्रगति में टॉप टेन में शामिल हो। – इंद्रमणि त्रिपाठी, सीईओ स्मार्ट सिटी कंपनी