नई दिल्ली-भारत में सिर और गर्दन का कैंसर आम समस्या बनती जा रही है। ग्लोबोकैन की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, देश में कैंसर के साथ जी रहे लोगों में 24 प्रतिशत सिर और गर्दन के कैंसर से पीड़ित हैं और हर साल ऐसे 2.75 लाख नए मामले दर्ज होते हैं। नेशनल कैंसर रजिस्ट्री प्रोग्रामआईसीएमआर के डेटा के अनुसार, इनमें बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान व उत्तर प्रदेश के मरीज सर्वाधिक हैं। मुख्य कारण है कि इन प्रदेशों में लोग पान मसाला और तंबाकू का सेवन बहुत ज्यादा करते हैं। जानें क्या कहते है नई दिल्ली के इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल के सीनियर आंकोलॉजिस्ट डॉ. समीर कौल।
पहले कैंसर उपचार के लिए पारंपरिक सर्जरी के कारण मरीज को अन्य समस्याओं जैसे टेढ़ा चेहरा, निशान, टेढ़े-मेढ़े दांत, चेहरे के आकार में बदलाव, कंधों में झुकाव आदि से जूझना पड़ता था। आज तकनीक में प्रगति के साथ मिनिमली इनवेसिव सर्जरी के जरिए सिर और कैंसर के चौथे चरण का इलाज भी संभव हो गया है। कैंसर के इलाज को बेहतर करने के लिए आज देश में ट्रांस-ओरल रोबोटिक सर्जरी (टीओआरएस) भी उपलब्ध है। इस सर्जरी के परिणाम बेहतर होने के साथ ही मरीज का चेहरा भी खराब नहीं होता और न ही कोई निशान रह जाते हैं।
टीओआरएस के साथ सरवाइवल रेट में भी सुधार आया है। ट्रांस-ओरल रोबोटिक सर्जरी एक नई तकनीक है, जो कैंसर की खतरनाक से खतरनाक कोशिकाओं को भी हटा देती है। रोबोटिक हाथ, बिना कोई चीरा लगाए गर्दन की सभी कैंसर कोशिकाओं को हटा देता है। पहले टॉन्सिल्स तक पहुंचना मुश्किल होता था लेकिन अब यह तकनीक न सिर्फ कैंसर के मरीजों के लिए बल्कि सर्जनों के लिए भी वरदान साबित हुई है।
इस सर्जरी के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले उपकरणों को रोबोटिक सिस्टम से कंट्रोल किया जाता है, जिसकी मदद से छोटी से छोटी जगह तक भी आसानी से पहुंचकर इलाज किया जा सकता है। चीरा लगाने की जरूरत न होने के कारण न्यूरोवैस्कुलर टिश्यूज को कोई नुकसान नहीं पहुंचता, जिससे मरीजों को भोजन- पेय आदि निगलने में आसानी होती है और उन्हें अस्पताल से डिस्चार्ज भी जल्दी कर दिया जाता है।
रोबोटिक सर्जरी होने के कारण कैंसर के इलाज में कारगर बदलाव हुए हैं। मिनिमली इनवेसिव प्रक्रिया की मदद से अब ओपन सर्जरी की जरूरत नहीं पड़ती। पहले इस प्रकार के कैंसर के इलाज के लिए कीमोथेरेपी और रेडिएशन थेरेपी का इस्तेमाल किया जाता था लेकिन देर से निदान के कारण इलाज के परिणाम कुछ खास नहीं होते थे। दुर्भाग्य से, टीओआरएस से पहले सर्जरी पूरी तरह से इनवेसिव (सर्जरी के लिए बड़ा चीरा लगाना पड़ता था) हुआ करती थी। चीरा लगने के कारण रिकंस्ट्रक्टिव सर्जरी के बाद भी मरीजों के चेहरों के आकार खराब हो जाते थे लेकिन अब मिनिमली इनवेसिव प्रक्रिया 100 फीसदी सुरक्षित है।
ट्रांस-ओरल रोबोटिक सर्जरी का इस्तेमाल जीभ, मुंह, गला और सिर व गर्दन के कई अन्य स्थानों के कैंसर के इलाज के लिए किया जाता है। सर्जिकल उपकरणों में प्रगति के साथ रोबोटिक टेक्नोलॉजी की मदद से सभी प्रकार के ट्यूमर तक पहुंचना संभव हो गया। टीओआरएस की मदद से सिर और गर्दन के कैंसर का इलाज करना बेहद आसान हो गया है, जिसमें न तो आवाज जाने का खतरा होता है और न ही निगलने में परेशानी होती है। इसके अलावा, इस एडवांस सर्जरी की मदद से मरीज जल्दी ठीक हो जाता है और उसके चेहरे पर कोई निशान भी नहीं रहते। देश के कई डॉक्टर इस विकल्प को पसंद कर रहे हैं।