नई दिल्ली- RBI ने चालू वित्त वर्ष की आखिरी द्विमासिक समीक्षा में गुरुवार को प्रमुख नीतिगत दरों को यथावत रखने की घोषणा की है। यह लगातार दूसरा मौका है जब केंद्रीय बैंक ने रेपो रेट एवं रिवर्स रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है। इस तरह आरबीआई की नीतिगत ब्याज दर 5.15 फीसद पर ही बरकरार है। RBI गवर्नर शक्तिकांत दास की अगुवाई वाली मौद्रिक नीति समिति ने वित्त वर्ष 2020-21 का केंद्रीय बजट पेश किए जाने के एक सप्ताह के भीतर ही नीतिगत दरों को लेकर यह ऐलान किया है।
महंगाई दर में वृद्धि के बावजूद इस बात की उम्मीद की जा रही थी कि देश में GDP Growth को मजबूती देने के लिए केंद्रीय बैंक रेपो रेट में बढ़ोत्तरी को कुछ समय के लिए टाल सकता है। आरबीआई की तीन दिवसीय समीक्षा बैठक चार फरवरी को शुरू हुई थी। आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति के सभी छह सदस्यों ने रेपो रेट को अपरिवर्तित रखने के पक्ष में वोट किया है।
रिज़र्व बैंक ने महंगाई दर के अनुमान को मौजूदा वित्त वर्ष की चौथी तिमाही के लिए बढ़ाकर 6.5 फीसद कर दिया है और वित्त वर्ष 2020-21 की तीसरी तिमाही के लिए 3.2 फीसद बताया है। साथ ही केंद्रीय बैंक ने वित्त वर्ष 2020-21 की पहली छमाही के लिए महंगाई दर का अनुमान 5.4 से 5 फीसद बताया है।
इसके साथ ही केंद्रीय बैंक ने चालू वित्त वर्ष में अक्टूबर से दिसंबर के बीच देश की जीडीपी वृद्धि दर के 6.2 फीसद रहने का अनुमान बताया है। रिजर्व बैंक ने अगले वित्त वर्ष के लिए विकास दर का अनुमान 6 फीसद कर दिया गया है। केंद्रीय बैंक ने अगले वित्त वर्ष की पहली छमाही में जीडीपी ग्रोथ के 5.5 से 6 फीसद के बीच और तीसरी तिमाही में 6.2 फीसद रहने का अनुमान बताया है।
मौद्रिक पॉलिसी समिति ने ऑब्जर्व किया है कि अर्थव्यवस्था लगातार कमजोर हो रही है और आउटपुट गैप लगातार नकारात्मक बना हुआ है। रिज़र्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा है कि रेपो रेट में आगे गिरावट की जा सकती है।
रियल एस्टेट को मिली बड़ी राहत
भारतीय रिज़र्व बैंक ने कॉमर्शियल रियल्टी लोन लेने वालों को बड़ी राहत दी है। आरबीआई ने फैसला लिया है कि अब उचित कारणों से देरी पर लोन डाउनग्रेड नहीं होगा। अर्थात अगर कोई डेवलपर किसी वजह से बैंकों का लोन निर्धारित समय पर नहीं चुका पाता हैं, तो उसे एक साल तक NPA घोषित नहीं किया जाएगा। आरबीआई के इस फैसले से रियल्टी सेक्टर की कंपनियों को काफी राहत मिलेगी।
RBI ने देश में आर्थिक सुस्ती के माहौल के बीच खपत बढ़ाने के लिए अपनी तरफ से हरसंभव प्रयास करते हुए फरवरी 2019 से अबतक कुल मिलाकर रेपो रेट में 1.35 फीसद की कटौती की थी। इसके साथ ही केंद्रीय बैंक ने यह सुनिश्चित करने का प्रयास भी किया था कि इस कटौती का अधिक-से-अधिक लाभ आम लोगों को मिले। इस संदर्भ में केंद्रीय बैंक ने एक सर्कुलर जारी कर बैंकों को बेंचमार्क रेट पर आधारित लोन प्रोडक्ट शुरू करने का निर्देश दिया था। इसके बाद अधिकतर बैंकों ने रेपो रेट आधारित लोन उत्पाद लांच किए।
उल्लेखनीय है कि दिसंबर में खुदरा मुद्रास्फीति पांच साल के उच्चतम स्तर 7.35 फीसद पर पहुंच गई थी। यह RBI के चार फीसद के मध्यम अवधि के लक्ष्य से काफी ज्यादा है। इसके बावजूद अधिकतर विश्लेषकों का मानना था कि मौजूदा समय में ग्रोथ को बढ़ावा देने के लिए केंद्रीय बैंक को ब्याज को लेकर नरम रुख बरकरार रखना चाहिए। इससे पहले दिसंबर में आरबीआई ने सभी विश्लेषकों को चौंकाते हुए रेपो रेट में किसी तरह का बदलाव नहीं करने की घोषणा की थी।