नदियों के प्रति की गई नादानी सम्पूर्ण मानवजाति के लिए घातक साबित हो रही है। जीवनयापन की पश्चिमी शैली ने गंगा व उसकी सहायक नदियों को विषैला बना दिया है। पैसा परोसकर पर्यावरण को अनुकूल करने की वैश्विक कोशिशें आज नाकाम साबित हो रही हैं। सरकार भूगोल को दरकिनार कर इतिहास को भी क्षतिग्रस्त कर रही है।
उक्त बातें गंगा मुक्ति एवं प्रदूषण विरोधी अभियान के राष्ट्रीय प्रभारी रमाशंकर तिवारी ने बक्सर में आयोजित गंगा चितन समारोह से वापस लौटने पर रविवार को पत्रकारों से बातचीत करते हुए कही। कहा कि बुलंदशहर से बलिया तक गंगा अकल्पनीय प्रदूषण की चपेट में है। गंगा के प्रति की जा रही उपेक्षा प्रकृति को क्रूरता के लिए उकसा रही है। भौतिकता की आड़ में समृद्धि की कामना पूर्ति के लिए आम आदमी को भी गंगा के प्रति संवेदनशील होना होगा। सिर्फ धन खर्च करने से गंगा की सलामती संभव नहीं है।