बीते दिनों दिल्ली में हुए अग्नि हादसे के दौरान अस्पताल परिसर में रिपोटिर्ंग को डटीं महिला पत्रकारों ने जब वहां रेहड़ी लगाने वाले 70 वर्षीय फल विक्रेता नंदलाल से फल खरीदे तो नंद लाल ने पैसे लेने से इन्कार कर दिया। कहा, आप हमारी बेटी जैसी हो..। नंदलाल के इस जज्बे ने उन्हें सोशल मीडिया पर नायक बना दिया है। नंदलाल बीते 45 सालों से तो दिल्ली स्थित लेडी हाडिर्ंग अस्पताल के सामने पेड़ की छांव में बैठकर फल बेचते हैं।
इस तरह आए सुर्खियों में
11 दिसंबर को नंदलाल तब सुर्खियों में आ गए जब उन्होंने दो महिला पत्रकारों द्वारा फल खरीदने पर उनसे पैसे लेने से इन्कार कर दिया। उनकी इस भावना को ट्विटर पर साझा किया गया और देखते ही देखते नंदलाल सोशल मीडिया पर सराहे जाने लगे। कुछ ही घंटों में हजारों लोगों ने उनके जज्बे को सलाम कर इसे शेयर करना शुरू कर दिया।
कुछ तो खास है नंदलाल में
अब आप भी सोच रहे होंगे यह कौन सी बड़ी बात हो गई, लेकिन थोड़ा ठहर कर सोचेंगे तो एहसास होगा कि आज कोई किसी को दो पैसे की चीज भी फ्री में देता है क्या? वह भी नंदलाल जैसा गरीब फल विक्रेता? यानी कुछ तो बात है नंदलाल में। इसीलिए वह सोशल मीडिया में किसी नायक की तरह सराहे जा रहे हैं।नंदलाल ने बताया, ‘वह बड़ा मनहूस दिन था। अनाज मंडी में हुई आगजनी की घटना से सभी की तरह मैं भी व्यथित था। अस्पताल पहुंचने वाले सैकड़ों पीड़ितों का दुख-दर्द सुन-देख रहा था। मैं हर दिन की तरह ही सुबह से अस्पताल के सामने वाली सड़क पर दुकान लगाए बैठा था।
अस्पताल परिसर में भीड़ बढ़ती जा रही थी। मीडिया के लोग भी थे। उन्हीं में कई महिला पत्रकार भी थीं। देख रहा था कि इन बच्चियों ने बैग से टिफिन तक नहीं निकाला और लगातार अपना काम संभाल रही थीं। पता नहीं कि उनके पास टिफिन था भी या नहीं। मेरे पास आईं तो कुछ फल लिए और पैसे देने लगीं। मेरे जमीर ने यह गवाही नहीं दी कि मैं इन बच्चियों से पैसे लूं।’
बेटी के बाप हूं, बेटी तो बेटी होती है
वह आगे कहते हैं, ‘मेरी भी दो बेटियां हैं। अब भले ही उनकी शादी हो गई है, लेकिन बेटियों का बाप हूं, बेटी तो बेटी ही होती है। मैं अस्पताल के सामने फल बेचता हूं और आप समझ सकते हैं कि अस्पताल में पीड़ा से भरे लोग ही पहुंचते हैं। 45 साल में ऐसी सैकड़ों बेटियां या जरूरतमंद आए, सभी को अपनी कुव्वत के हिसाब से सहयोग करता हूं। कोई घटना-दुर्घटना हो जाए या कोई मुसीबत में हो तो पुलिस को 100 नंबर पर फोन करने में देर नहीं लगाता, हर सूचना दे देता हूं, ताकि जरूरतमंद को मदद मिल सके। ऐसा भी हुआ, जब इधर सड़क चलते किसी बच्ची को कोई परेशानी आई या किसी ने परेशान किया, तब मैं बिना देर किए मदद को दौड़ पड़ा।’
नंदलाल बेहद नेक इंसान: पुलिस
नंदलाल के बारे में हमने इलाके की पुलिस से भी पता किया। पीसीआर पर तैनात पुलिस कर्मी भी मानते हैं नंदलाल बेहद नेक इंसान हैं। जरूरत पड़ने पर खुद ही 100 नंबर पर कॉल कर पुलिस को जरूरतमंद की मदद करने के लिए बुलाते आए हैं। कई बार तो उन्होंने अपनी जान जोखिम में डाल कर बच्चियों की मदद को हाथ बढ़ाया। झगड़े में उलझना पड़ा, लेकिन पीछे नहीं हटे। एक बार तो राह चलते एक युवती को छेड़कर भाग रहे आरोपित को नंदलाल ने मौके पर ही पकड़ा था और पुलिस के पहुंचने तक जोखिम उठाते हुए उसे पकड़े रखा।
रोशन किया प्रयागराज का नाम
नंदलाल मूलरूप से उत्तर प्रदेश के प्रयागराज स्थितबमरौली के रहने वाले हैं। बीते चार दशक से दिल्ली के इस अस्पताल के बाहर फल बेचने का काम कर रहे हैं। नंदलाल को आज लेडी हाडिर्ंग अस्पताल के छोटे-बड़े डॉक्टर, नर्स और अन्य सभी कर्मचारी जानते हैं, इज्जत देते हैं। नंदलाल के पास फल खरीदने आईं अस्पताल में काम करने वाली फार्मासिस्ट रुचि ने बताया, ‘अंकल हमेशा हमें बेटा कहकर ही संबोधित करते हैं, हमने इन्हें हमेशा दूसरों की मदद के लिए खड़े देखा है।
चाहे अस्पताल में किसी की मदद करनी हो या कभी हम लड़कियां भी अस्पताल के बाहर से गुजर रही हों, इत्मीनान रहता है कि अंकल वहां हैं।’ दिल्ली में ‘इंसानियत का नायक’ बन बैठे अपने इस बुजुर्ग बेटे पर प्रयागराज निश्चित ही गर्व कर सकता है।