विभिन्न शहरों में इतना है दाम
ये है कारण
इस साल मई के बाद प्याज की कीमतों में काफी इजाफा हुआ है। बीते साल प्याज का बहुत कम उत्पादन हुआ था। इस बार भी बाढ़ और बारिश की वजह से उत्पादन कम हुआ है, जिसकी वजह से इसमें बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। इसके अतिरिक्त कारोबारियों ने सरकार की प्रतिकूल नीतियों को इसका जिम्मेदार ठहराया है।
लासलगांव की कृषि उपज विपणन समिति (एपीएमसी) के अध्यक्ष जयदत्त होल्कर ने कहा कि अक्तूबर और नवंबर में बेमौसम वर्षा हुई है, जिसकी वजह से खरीफ सीजन में बोई गई फसलों को नुकसान हुआ है। आंध्र प्रदेश और कर्नाटक सहित दक्षिण भारतीय राज्यों में बोई गई शुरुआती किस्म की प्याज आवक को नुकसान पहुंचा है। यही कारण है, जिसकी वजह से बाजार में नई किस्म की प्याज आपूर्ति नहीं है।
प्याज की सबसे ज्यादा खेती महाराष्ट्र में होती है। भारत में प्याज के कुल उत्पादन का 35 फीसदी प्याज महाराष्ट्र से आता है। सितंबर माह से मध्य प्रदेश, राजस्थान और गुजरात में हो रही बेमौसम बारिश से फसल को नुकसान पहुंचा है।
सरकार ने उठाए ये कदम
- सरकार कारोबारियों पर स्टॉक लिमिट लगा चुकी है, जिससे जमाखोरी रोकी जा सके।
- इसके अलावा लोगों को राहत देने के लिए सरकार 23.40 रुपये प्रति किलो की दर से प्याज बेच रही है।
- सरकार अपने बफर स्टॉक में से 57,000 टन प्याज निकाल चुकी है।
- जून में सरकार द्वारा निर्यातकों को दी जाने वाली 10 फीसदी की सब्सिडी समाप्त कर दी गई थी।
- प्याज की आपूर्ति बढ़ाने के लिए सरकार ने एमएमटीसी को 21,000 टन प्याज आयात का ठेका दिया है।