मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि डीएचएफएल में फंसे पावर कॉर्पोरेशन के कर्मचारियों के पैसे की वसूली के लिए सरकार हर संभव प्रयास करेगी। सरकार ने बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर की है, कॉर्पोरेशन की ओर से आरबीआई को पहले ही पत्र लिखा जा चुका है। उन्होंने कहा कि कॉर्पोरेशन के कर्मचारियों को नुकसान नहीं होने दिया जाएगा।
डीएचएफएल का बोर्ड भंग होने और वहां आरबीआई का प्रशासक नियुक्त होने से बृहस्पतिवार को पावर कॉर्पोरेशन से लेकर सचिवालय तक खलबली मची रही। कॉर्पोरेशन के कर्मचारियों में डीएचएफएल में जमा पैसा डूबने की आशंका फैलती रही और कर्मचारी संगठनों ने आंदोलन तेज करने की घोषणा कर दी।
देर शाम मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने आवास पर इस मामले को लेकर बैठक की। मुख्यमंत्री ने ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा, मुख्य सचिव आरके तिवारी, अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश कुमार अवस्थी, प्रमुख सचिव ऊर्जा अरविंद कुमार से डीएचएफएल में फंसी पीएफ की राशि की वसूली के तरीकों पर चर्चा की। बैठक में इस मुद्दे पर आरबीआई के समक्ष अपना पक्ष रखने, केंद्र सरकार से बातचीत कर समस्या का जल्द हल निकालने और न्यायालय का रास्ता अपनाने सहित अन्य तरीकों पर चर्चा हुई। बैठक में कर्मचारी संगठनों की मांगों के मुद्दे पर भी बातचीत हुई।
मुख्यमंत्री ने जल्द जांच पूरी करने का दिया आदेश
मुख्यमंत्री ने मामले की जांच कर रही ईओडब्ल्यू के अधिकारियों को जांच जल्द पूरी करने, जांच में पुख्ता सबूत और गवाह जुटाकर समय पर चालान पेश करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि जांच में जो भी अधिकारी या कर्मचारी मामले में लिप्त पाया जाए उसे आरोपी बनाकर जेल भेजा जाए।
मुख्यमंत्री ने ऊर्जा विभाग के प्रमुख सचिव अरविंद कुमार को कर्मचारी संगठनों से बात कर आंदोलन समाप्त कराने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि कर्मचारियों को बताया जाए कि उनके पीएफ का समय पर भुगतान किया जा रहा है। दो महीने में करीब 14 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है।
मुख्य सचिव ने कहा कि सरकार पूरी तरह कर्मचारियों के साथ है। उनकी जमा राशि की वसूली के लिए हर संभव प्रयास किया जाएगा। सरकार प्रयास कर रही है कि किसी भी कर्मचारी को नुकसान नहीं हो।