जबलपुर। छत के पंखे से लटककर आत्महत्या करने से बचाने वाले यंत्र को भारत सरकार के इंटेलेक्चुएल प्रॉपर्टी विभाग से पेटेंट मिल गया है। इस यंत्र का आविष्कार मध्यप्रदेश चिकित्सा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. डॉ. आरएस शर्मा ने किया है। एम्स नई दिल्ली से प्रदेश के प्रथम डीएम कार्डियोलॉजिस्ट प्रो. शर्मा ने करीब छह वर्ष पूर्व यह यंत्र बनाया था। इसमें ऐसे फीचर मौजूद हैं कि छत के पंखे के सहारे फांसी पर झूलते ही हूटर बजेगा और फांसी लगाने की कोशिश करने वाले के पैर जमीन पर आ जाएंगे, जिससे असमय मौत को टाला जा सकेगा। इस डिवाइस की कीमत मात्र 500 रुपए आंकी गई है, जो पंखे की कीमत के अतिरिक्त है। इसके इस्तेमाल से कई अनमोल जिंदगियों को बचाया जा सकेगा।
पंखे से लटककर जान देना प्रचलन में : प्रो. शर्मा ने बताया कि आत्महत्या का प्रचलित तरीका छत के पंखे से लटककर जान देना है। प्राय: अधिकांश घरों में सीलिंग फैन होता है, जिसकी फर्श औसत ऊंचाई 10-12 फीट होती है और कुर्सी या स्टूल आदि पर चढ़कर आसानी से फांसी का फंदा तैयार किया जा सकता है। फंदा तैयार कर फांसी लगाने में अधिकतम 3 मिनट का समय लगता है।
दबाव कम करने से टल सकती है मौत : प्रो. शर्मा ने बताया कि न्यायिक रूप से फांसी देने में रस्सी को इस तरह बांधा जाता है कि गर्दन की हड्डी एटलेंटोएक्सियल जोड़ टूटकर मेरूदंड में मेडुला नामक स्थान पर घुसकर इसे नष्ट कर देती है। सांस व हृदय के केन्द्र नष्ट होने से तुरंत मौत हो जाती है। इसके विपरीत पंखे पर लटककर आत्महत्या करने से तुरंत मौत नहीं होती। सांस की नली (ट्रेकिया) तथा कैरोटिड धमनी पर दबाव से मस्तिष्क में रक्तसंचार अवरुद्ध हो जाता है, जो मौत की वजह बनती है। यदि इस दबाव को कम कर दिया जाए तो बचा जा सकता है।
ऐसे मिली प्रेरणा
प्रो. शर्मा ने बताया कि प्रेशर कुकर की सीटी से प्रेरणा लेकर उन्होंने आविष्कार को अंजाम तक पहुंचाया। कुकर का प्रेशर रिलीज करने में सीटी की महती भूमिका रहती है। पेटेंट सीलिंग फैन में एक शॉफ्ट के साथ स्प्रिंग व हूटर इस प्रकार लगाया गया है कि इस पर अतिरिक्त दबाव पड़ते ही हूटर बजेगा और स्प्रिंग के सहारे आत्महत्या की कोशिश करने वाला जमीन पर आ जाएगा, जिससे गर्दन की हड्डी टूटने व सांस अवरुद्ध होने का खतरा टल जाएगा।