मल्टमीडिया डेस्क। अक्सर इंसान सोचता है कि उसके दिमाग में जो बातें चल रही हैं वो शब्दों में बदल जाए लेकिन ऐसा उसे खुद ही करना होता है। जब तक वो अपने दिमाग के विचार पेपर पर उतारे, तब तक विचार बदल जाते हैं और उसकी भावनाएं कईं बार पूरी तरह पेपर पर नहीं उतर पातीं। लेकिन, अब शायद ऐसा ना हो और जो आप सोच रहे हैं वो बिना आपके लिखे पेपर पर उतर आए।
ऐसा कुछ हो सकता है फेसबुक के एक प्रोजेक्ट से जिस पर वो काफी समय से काम कर रहा है। इस हफ्ते फेसबुक के रिसर्च डिविजन ने एक बड़े साइंटिफिक एंबिशन को अपडेट दिया है। यह कुछ ऐसा हो जो सेशल नेवर्किंग से आगे निकलकर आपके दिमाग में प्रवेश कर लेना। दरअसल, कंपनी एक नॉन-इनवासिव, पहना जा सकने वाला दिमाग को पढ़ सके ऐक कम्प्यूटर इंटरफेस तैयार कर रहा है। हाल में यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया में रिसर्च के बाद इसमें प्रोग्रेस दर्ज हुई है।
यह प्रोजेक्ट उन लोगों के लिए काफी काम का है जो अपनी बोलने की क्षमता खो चुके हैं। 30 जुलाई को नेचर में छपी रिपोर्ट के अनुसार फेसबुक के डेवलपर्स ने एक स्पीच डिकोडर विकसित करने में सफलता पा ली है। यह इस चीज को समझकर की कोई शख्स क्या कहना चाहता है, उसके दिमाग की बातों को शब्दों में बदलेगा।
रिसर्च पर काम कर रहे स्पीच न्यूरोलॉजिस्ट एडी चैंग के अनुसार, फिलहाल लकवे जैसी बीमारियों की वजह से बोलने की क्षमता खो चुके मरीज बड़ी मुश्किल से कुछ कह पाते हैं। लेकिन कईं मामलों में उनके दिमाग में पूरी बात कहने के लिए शब्द होते हैं और उसी को बयान करने के लिए तकनीक डेवलप कर रहे हैं।