जब शिवक्षेत्र में होती है मृत्यु, तो इस लोक में मिलती है शरण

 भगवान शिव की आराधना करने वाला भक्त जन्म-जन्मांतर के झंझटों से छुटकारा पाकर मोक्ष को प्राप्त कर लेता और शिवलोक में शरण पाता है। जन्म से जीवन की यात्रा प्रारंभ होती है तो देह त्याग के साथ ही जीवन की इस यात्रा का अंत हो जाता है और आत्मा परमात्मा मे विलीन हो जाती है। मृत्यु जीवन का अटल सत्य है और इस शाश्वत सत्य से कोई भी प्राणी बच नहीं सकता है। सिद्धक्षेत्र यानी जहां देवी-देवताओं का वास होता है ऐसे स्थान पर मृत्यु से मानव को पापों से छुटकारा मिलता है और स्वर्ग की प्राप्ति होती है।

उज्जैन में मृत्यु से मिलती है शिव शरण

लिंग पुराण में शिवक्षेत्र में देहलोक गमन होने से मिलने वाली मुक्ति और पुण्य का विस्तार से वर्णन किया गया है। इसके अनुसार शिव नेत्र से आधा कोस यानी डेढ़ किलोमीटर के दायरे में जिस मनुष्य की मृत्यु होती है वह चान्द्रायण व्रतों के फल को प्राप्त करता है। जो व्यक्ति श्रीपर्वत पर प्राणों का त्याग करता है वह शिव के सामिप्य को प्राप्त करता है। जो मनुष्य वाराणसी, केदार, प्रयाग कुरुक्षेत्र में शरीर को छोड़ता है वह मुक्ति को पाता है। प्रभास, पुष्कर, उज्जैन में जिसकी मृत्यु होती है वह शिव की शरण में जाता है।

शिव की शरणागत होने की महत्वाकांक्षा हर शिवभक्त की होती है और इसी मनोकामना के साथ महादेव उपासक शिवलिंग की साधना ब्रह्मुहुर्त से लेकर रात्रि तक करते हैं। श्रद्धा, भक्ति और आस्था के साथ की गई शिवपूजा से मानव की सबी मनोकामना पूर्ण होती है अंत में इहलोक की यात्रा की समाप्ति पर शिवलोक की प्राप्ति होती है।

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com