शाजापुर। शहर से सिर्फ पांच किमी दूर बज्जाहेड़ा में जान हथेली पर रखकर ग्रामीण चीलर नदी पार कर रहे हैं। चार ड्रम और लकड़ी के पटिये रखकर बनाई गई नाव को ग्रामीण नदी के पार पेड़ से बंधी रस्सी से खींचते हैं और इस पार से उस पार पहुंचते हैं। इस दौरान यदि थोड़ा सा संतुलन भी बिगड़े तो नदी में गिर सकते हैं। दर्जनों किसान ड्रम की नाव से ही खेतों में आना-जाना कर रहे हैं।
बज्जाहेड़ा, जाईहेड़ा व लखमनखेड़ी से चीलर नदी गुजरी है। जिस पर लखमनखेड़ी के पास बैराज बनाया गया है। यह बैराज पहली तेज बारिश में ही भर गया था। ऐसे में नदी के दूसरे पार जिन किसानों की जमीन है। वहां जाने के लिए उन्होंने 15 दिन पहले जुगाड़ की नाव बनाकर नदी पार करना शुरू कर दिया।
चार ड्रमों की मदद ली गई और उन्हें रस्सी से बांधकर लकड़ी के पटिये रखे गए। तीन से चार ग्रामीण नाव पर बैठते हैं और दूसरी ओर पेड़ से बंधी रस्सी को खींचते हैं। इस तरह ग्रामीण नदी को पार करते हैं। कई बार नाव डोलने भी लगती है। ऐसे में यदि संतुलन बिगड़े तो नाव में बैठे लोग नदी में गिर भी सकते हैं। वर्तमान में नदी में 10 से 15 फीट पानी भरा हुआ है। इस कारण खतरा बढ़ जाता है। गांव के कमलसिंह राजपूत ने बताया बारिश के दिनों में खेतों में पहुंचने के लिए परेशानी होती है।
बज्जाहेड़ा व लखमनखेड़ी के दर्जनों किसानों की जमीन नदी के दूसरी तरफ है। ऐसे में अगर वो घुमकर सड़क मार्ग से जाते हैं तो करीब ढाई किमी का रास्ता तय करना पड़ता है। इसलिए उन्होंने जुगाड़ की नाव बनाई और उसके सहारे नदी पार कर रहे हैं।
सरपंच डॉ. जगदीशसिंह पंवार का कहना है कि नदी पर बना बैराज भर गया है। इस कारण खेतों में पहुंचने के लिए किसानों ने ड्रम की नाव बनाई है। नदी पार करते समय हादसा हो सकता है। जिला प्रशासन से पुल निर्माण की मांग की है। अस्थायी व्यवस्था के लिए मोटरबोट या नाव की व्यवस्था करने को कहा है।