Soyam bapu rao comment on forest officials संसद के केंद्रीय कक्ष में दोबारा शपथ लेने से पहले बीजेपी के सांसदों को संबोधित करते हुए नेशनल एंबीशन और रीजनल एस्पिरेशन के बारे में अपने मत को रखा था। इसके साथ ही उन्होंने सांसदों से अपील करते हुए कहा था कि आप लोग विवादित बयानों से बचें क्योंकि उससे सरकार को मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। लेकिन ऐसा लगता है कि पीएम मोदी की उस नसीहत या सलाह का बीजेपी सांसदों पर कोई असर नहीं पड़ा है। तेलंगाना से चुने गए बीजेपी सांसद सोयम बापू राव का बयान विवादों के केंद्र में है।
तेलंगाना में आदिलाबाद से बीजेपी एमपी सोयम बापू राव ने कहा कि यदि वन विभाग के लोग आप को पोडू भूमि पर पेड़ लगाने के लिए आते हैं तो आप उन्हें रोक दें। यही नहीं अगर आवश्यकता पड़े तो आप उन्हें मार सकते हैं। वन भिगाग के लोगों द्वारा लगाए गए पौधों को उखाड़ फेंके। वो खुद देखेंगे क्या हो सकता है क्या होगा।
अब सवाल ये है कि सोयम बापू राव के बयान देने के पीछे का मकसद क्या है। दरअसल उनके संसदीय क्षेत्र में आदिवासी समाज के वोटर्स बड़ी संख्या में है। आदिलाबाद में जंगल की जमीन पर आदिवासी समाज के लोग अपना दावा करते रहे हैं। खासतौर से पोडू ( शिफ्टिंग कल्टीवेशन) के जरिए वो अपना जीवन यापन करते हैं। लेकिन उसका असर ये होता है कि बहुत सी जमीन बंजर या खाली रह जाती है। ऐसे में वन विभाग के अधिकारी उन जमीनों पर पेड़ लगा रहे हैं। लेकिन आदिवासी समाज को लगता है कि उनकी जमीनों को छिनने की कोशिश की जा रही है।
तेलंगाना के सांसद सोयम बापू राव ने इस तरह की तस्वीर का हवाला देते हुए भड़काऊ बयान दिया। लेकिन सवाल ये है कि जब पीएम मोदी पहले ही सांसदों से अपील कर चुके हैं कि आप लोगों की जिम्मेदारी सिर्फ कानूनी प्रक्रिया का हिस्सा बनने तक नहीं है। आप लोगों को जमीन से जुड़े हुए लोगों की दिक्कतों में भागीदार होना है। लेकिन जानकारों का कहना है कि यह कहां तक जायज है कि कोई भी सांसद लोगों की परेशानियों का समाधान प्रशासन के लोगों को डरा धमका कर करे।