गुजरात का गिर वन जंगल के राजा शेरों के लिए कब्रगाह बनता जा रहा है. गुजरात सरकार की ओर से विधानसभा में पेश आंकड़े तो यही इशारा कर रहे हैं. गुजरात के वन मंत्री के मुताबिक 2 साल में 222 शेरों की मौत हो चुकी है.गुजरात में इस वक्त मॉनसून सत्र चल रहा है. इस दौरान वनमंत्री गणपत वसावा ने कहा कि पिछले दो सालों यानी 2017-18 और 2018-2019 में गुजरात में अब तक 222 शेरों की मौत हो चुकी है. वन मंत्री ने कहा है कि ज्यादातर शेरों की मौत प्राकृतिक है, हालांकि कई शेर अप्राकृतिक कारणों से भी मरे हैं. सरकारी के आंकड़ों के मुताबिक दो साल में 52 शेरों, 74 शेरनियों जबकि 90 शावकों की मौत हुई है.शेरों से जुड़े आंकड़ों की जानकारी कांग्रेस के विधायक इमरान खेड़ावाला ने मांगी थी. सरकार द्वारा डाटा दिए जाने के बाद कांग्रेस ने सदन में हंगामा किया और कहा कि वन विभाग शेरों के रख-रखाव में घोर लापरवाही बरत रहा है. कांग्रेस का आरोप है कि केंद्र सरकार शेरों पर खर्च करने के लिए करोड़ों रुपये की ग्रांट की देती है, बावजूद इसके शेरों की असमय मौत हो रही है.
अमेरिका से मंगाए गए 300 वैक्सीन:
वन विभाग ने विधानसभा में ये भी माना कि 2018-19 में केनाइन डिस्टेम्पर वायरस और बाबेसिया जैसे वायरस के इंफेक्शन की वजह से 34 शेरों की मौत हुई है. गौरतलब है कि पिछली बार जब ये वायरस फैला था तब अमेरिका से 300 वैक्सीन मंगवाए गए थे. बता दें कि वन विभाग की आखिरी गिनती के मुताबिक फिलहाल गिर वन में 109 शेर, 201 शेरनी जबकि 200 से ज्यादा शेर के बच्चे हैं
लॉयन शो करते 74 लोग गिरफ्तार
वन मंत्री ने विधानसभा में यह भी बताया कि गिर के जंगल में अब तक 74 लोगों को गैरकानूनी लॉयन शो करते हुए गिरफ्तार किया गया है. सरकार ने कहा कि गिर के जगंल में शेरों पर नजर रखने के लिए 75 रेडियो कॉलर भी मंगवाए गए हैं और इसे लगाया गया है. शेरों में होने वाली बीमारी से निपटने के लिए एंबुलेंस सर्विस की भी शुरुआत भी की गई है.बता दें गुजरात के जूनागढ़ में स्थित गिर वन ‘बाघ संरक्षित क्षेत्र’ है. यह क्षेत्र पूरी दुनिया में ‘एशियाई बब्बर शेरों’ के लिए विख्यात है. जूनागढ़ नगर से 60 किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम में स्थित इस उद्यान का क्षेत्रफल लगभग 1,295 वर्ग किलोमीटर है. गिर वन संरक्षित क्षेत्र की स्थापना 1913 में एशियाई शेरों को संरक्षण प्रदान करने के लिए की गई थी.