आंत से बनाया किशोरी का जननांग,KGMU के डॉक्टर्स ने किया सफल ओप्रशन

 केजीएमयू डॉक्टरों ने 16 वर्षीय किशोरी की आंत के टुकड़े से सफलतापूर्वक जननांग विकसित किया है। सिग्मॉयड वेजाइनोप्लाटी तकनीकि से यह ऑपरेशन पूरी तरह सफल रहा। दावा है कि इस तरह का देश में पहला और विश्व में तीसरा ऑपरेशन है। रायबरेली निवासी किशोरी के जन्म से ही जननांग (वेजाइना, यूट्रस) नहीं थे। परिजनों ने शुरुआत में समस्या को नजरंदाज किया। उम्र बढऩे के साथ अंगों के विकास का इंतजार करते रहे। लोकलाज में जन्मजात बीमारी पर पर्दा डाले रहे। 16 की उम्र में बेटी को मासिक धर्म शुरू न होने पर स्थानीय महिला रोग विशेषज्ञ को दिखाया। वहां से किशोरी को केजीएमयू रेफर कर दिया गया। केजीएमयू में यूरोलॉजी विभाग के डॉ. विश्वजीत के मुताबिक, जांच में किशोरी एमआरकेएच सिंड्रोम-टाइप टू से पीडि़त मिली। साथ ही वेजाइनल एजेनिसिस की समस्या समेत करीब नौ बीमारियों से ग्रसित थी। वेजाइनल एजेनिसिस की वजह से ही किशोरी का जननांग, यूट्रस, ओवरी और यूटेरिन ट्यूब आदि विकसित नहीं हुए थे। डॉ. विश्वजीत के मुताबिक,  किशोरी के एक्स-रे, सीटी स्कैन, ईको, अल्ट्रासाउंड और ब्लड समेत अन्य जांचें कराई गईं। उसकी गर्दन की हड्डी सामान्य से छोटी थी। हाथ में कई उंगली आपस में जुड़ी थीं और एक ही किडनी मिली। इसके अलावा हॉर्ट के वॉल्व में भी खराबी पाई गई। किशोरी के शरीर में लगभग दो मीटर की आंत मौजूद थी। पेट के निचले हिस्से में 10 सेमी का चीरा लगाया गया। इसमें से बीच से 10-12 सेंटीमीटर का टुकड़ा कट किया गया। इसके बाद आंत को आपस में जोड़ दिया गया। कटा हुआ हिस्सा अंदर से ही जननांग के पास ले जाया गया। इसमें रक्त की धमनियां जुड़ी हुई थीं। माइक्रो व प्लास्टिक सर्जरी के जरिए जननांग विकसित किया गया।  ऑपरेशन में डेढ़ घंटे लगे। शनिवार को किशोरी को डिस्चार्ज कर दिया गया। उसमें यूट्रस अविकसित है, इसलिए गर्भधारण नहीं कर सकती है। हालांकि, वैवाहिक जीवन बिता सकती है।एमआरकेएच सिंड्रोम को मेयर टॉकीटेंसकी, कुस्टर, हाउसर सिंड्रोम कहा जाता है। यह जेनेटिक बीमारी है, जिसमें निजी अंग छोटे, अविकसित होते हैं। गर्दन छोटी होना, सिर छोटा होना, अंगुलियों का सामान्य न होना, किडनी, हार्ट, लिवर, पैंक्रियाज आदि में समस्या होती है। किशोरी का ऑपरेशन आयुष्मान योजना के तहत हुआ। टीम में डॉ. विश्वजीत सिंह, डॉ. राहुल जनक सिन्हा, डॉ ज्ञानेंद्र, डॉ मुकेश, डॉ. कौशल, डॉ. जिया व नर्सिंग स्टाफ शामिल रहा। निजी अस्पताल में इसका खर्च तीन लाख के करीब आता।

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