प्रदेश में सत्ता संभालने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ ने सूबे की सड़कों को गड्ढा मुक्त करने के फरमान तो जारी कर दिए थे पर इसमें 24 घंटे का समय शेष है और ग्रामीण इलाकों की कौन कहे यहां नगर की सड़कें तक ही दुरुस्त नहीं हो सकी हैं। हालात है कि शहर से लेकर गांवों तक में एक तिहाई से ऊपर सड़कें अभी उसी तरह से पड़ी हैं। अभी एकाध जगहों को छोड़ यहां कहीं भी सड़कों पर काम तक शुरू नहीं हो सका है।
ऐसे में 15 जून तक सभी सड़कों को गड्ढा मुक्त करने का वादा अधूरा ही रह गया। सड़कों के निर्माण व मरम्मत के नाम पर अभी हाल-फिलहाल नगरपालिका में ही कुछ सड़कों पर ही काम दिख रहा है। इसमें कुछ मोहल्लों में मरम्मत हो रहा तो कुछ जगह निर्माण कार्य हो रहे हैं लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी लंबी-लंबी सड़कें उसी तरह जर्जर अवस्था में ही पड़ी हैं। बात नगर की करें तो यहां भी कई मार्ग अभी अपने बदहाली पर आंसू ही बहा रहे हैं। नगर के मिड्ढी चौराहे से एनसीसी तिराहे तक की सड़क अभी उसी तरह जर्जर व बदहाल अवस्था में पड़ी है। यह सड़क करीब चार वर्षों से ध्वस्त पड़ी है लेकिन शासन के फरमान के बाद भी इसे दुरुस्त नहीं किया जा सका है। पिछली सरकारों में लंबा-चौड़ा बजट आने के बाद भी सड़कों की स्थिति यहां नारकीय ही बनी है। देहात क्षेत्रों की सड़कें तो और भी दयनीय स्थिति में हैं। कहीं सड़कों पर गिट्टी डाल कर उसी तरह छोड़ दिया गया है तो कहीं सड़कें पूरी तरह से उखड़ गई हैं। इस तरह की स्थिति में समय बीतते जाने के बाद 15 जून तक यह पुराने रूप में ही पड़ी हैं। इन सड़कों के निर्माण को लेकर टेंडर आदि की प्रक्रिया से आगे अभी कुछ भी नहीं हो सका है। जिले में सड़कों की बदहाल स्थिति का आलम है कि यदि दिन-रात लगातार काम हो तो भी मानक के अनुरूप सड़कों को बनाने में दो महीने से अधिक का समय लग जाएगा। वजह यहां लोक निर्माण विभाग की ग्रामीण मार्गों की लंबाई ही 2021 किमी है। यही नहीं विभाग के तहत राष्ट्रीय राजमार्ग व राजमार्ग की स्थिति भी दयनीय ही बनी है। बड़ी बात है कि इसमें पिछले वित्तीय वर्ष में लोनिवि में सड़क निर्माण के लिए कुल 194 करोड़ रुपये का भारी-भरकम बजट भी आया था फिर भी यहां आधे से अधिक सड़कें जर्जर अवस्था में ही पड़ी हैं। ऐसे में सीएम के फरमान के बाद भी यहां अभी इतनी सुस्ती क्यों है यह समझ से परे है।
नगर में कुछ जर्जर सड़कों से मिली निजात
सरकार के फरमान के बाद नगर की कुछ जर्जर सड़कों का कायाकल्प जरूर हो गया है। नगर में कुंवर ¨सह से एनसीसी तिराहा, कुंवर ¨सह से विकास भवन, टीडी कालेज से मिड्ढी चौराहा तक की सड़क काफी दिनों से बदहाल अवस्था में पड़ी थी लेकिन अब इनकी काया पूरी तरह बदल चुकी है। सरकार की हनक का असर इन सड़कों पर स्पष्ट रूप से देखने को भी मिल रहा है। इन सड़कों का मानक के अनुरूप निर्माण होने से इस पर चलने वाले लोगों को राहत है तो इनके कुछ वर्षों तक खराब न होने की उम्मीद भी दिख रही है।
राजमार्गों की स्थिति अभी भी बदहाल
जिले में राजमार्गों की स्थिति में अभी भी कोई सुधार नहीं हो सका है। बलिया-लखनऊ राजमार्ग हो या फिर बलिया-बैरिया सबकी स्थिति अभी दयनीय ही बनी है। एनएच 31 पिछली बरसात में पानी भर जाने से पूरी तरह ध्वस्त हो गया था। बलिया से फेफना तक तो इसकी स्थिति पूरी तरह चौपट हो गई थी। इसमें शासन के फरमान के बाद कुछ जगहों पर लेपन कार्य करा कर कोरम तो पूरा कर दिया गया लेकिन बीच में कुछ जगहों पर अभी सड़क उसी तरह से जर्जर पड़ी है। कपूरी गांव के सामने तो सड़क की स्थिति अभी भी इतनी खराब है कि वहां कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है।
लोक निर्माण विभाग की सड़कें–
राष्ट्रीय राजमार्ग– 95 किमी
राजमार्ग– 160 किमी
प्रमुख जिला मार्ग– 105 किमी
अन्य जिला मार्ग– 468 किमी
ग्रामीण मार्ग– 2021 किमी
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जिला पंचायत की सड़कें–
कुल– 25 किमी
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राष्ट्रीय ग्रामीण अभियंत्रण के तहत पीएमजीएसवाई की सड़कें–
राष्ट्रीय ग्रामीण अभियंत्रण की सड़कें–
कुल सड़कों की संख्या– 46
तीन निर्माणाधीन– 15.5 किमी
-34 अनुरक्षण– 157.5 किमी
-नौ टेंडर की प्रक्रिया में– 63.65 किमी
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लोक निर्माण विभाग का वार्षिक बजट वित्तीय वर्ष 2016-17
कुल बजट– 194 करोड़ रुपये
गड्ढा निर्माण– 71.23 लाख
विशेष मरम्मत– 2.9 किमी के लिए 30 लाख रुपये
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राष्ट्रीय ग्रामीण अभियंत्रण का बजट–
अप्रैल 2016 से अब तक 19.40 करोड़ रुपये खर्च
मरम्मत के लिए बजट– 39.30 लाख रुपये
25.1 लाख रुपये खर्च
14.29 लाख रुपये से काम हो रहा है
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जिला पंचायत का बजट–
2016-17 में 13 किमी सड़क निर्माण में पांच करोड़ रुपये खर्च
12.8 किमी सड़क मरम्मत के लिए 8.23 लाख रुपये का भेजा गया प्रस्ताव
बजट के अनुरूप चल रहा काम
बजट के अनुरूप जिले भर में सड़कों का काम युद्धस्तर पर चल रहा है। जहां भी सड़कें खराब हैं उनको प्राथमिकता के आधार पर बनाने का काम किया जा रहा है। चूंकि सड़कें पूर्व से ही काफी जर्जर अवस्था में थी जिससे मरम्मत के काम में तेजी के बाद भी समय से इसे पूरा नहीं कराया जा सका है।
– एके मौर्य,मुख्य अभियंता, लोनिवि