अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री और बीजेपी नेता पेमा खांडू बीफ खाने के समर्थन में आ खड़े हुए हैं. पशु बाजारों में हत्या के लिए मवेशियों की खरीद-बिक्री पर प्रतिबंध के केंद्र के फैसले का उन्होंने विरोध किया है. सरकार के नए नियम के मुताबिक, अब कोई भी मवेशी को मारने के मकसद से उसे बेच नहीं सकता. मवेशी को बेचने से पहले उसे एक घोषणापत्र देना होगा.
सीएनएन न्यूज 18 के भूपेंद्र चौधरी से बातचीत के दौरान खांडू ने कहा, केंद्र सरकार को इस नोटिफिकेशन पर दोबारा सोचना चाहिए. उन्होंने कहा, मैं खुद बीफ खाता हूं और इसमें कुछ भी गलत नहीं है.
उन्होंने कहा, नरेंद्र मोदी सरकार काफी संवेदनशील है. बीजेपी नेता वैंकेया नायडू ने कहा है कि वह इस मुद्दे पर राज्यों से बात करेंगे और मवेशियों के बेचने के मुद्दे पर दोबारा विचार करेंगे. खांडू ने कहा, सिर्फ अरुणाचल प्रदेश ही नहीं, पूरे नॉर्थ ईस्ट में अधिक संख्या में ट्राइबल रहते हैं और वो नॉन वेजेटेरियन हैं.
बता दें पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा पशु क्रूरता निवारण (पशुधन बाजार नियमन) नियम, 2017 के शीर्षक से राजपत्र में इसका उल्लेख किया गया है. इसमें लिखा है, कोई भी मवेशी को तब तक बाजार में नहीं लाया सकता, जब तक कि वह यह लिखित घोषणापत्र नहीं देता कि मवेशी को मांस करोबार के लिए हत्या करने के मकसद से नहीं बेचा जा रहा है. उसे बताना होगा कि वह मवेशी को कृषि संबंधी उद्देश्य से ही बेच रहा है.
राज्य से बाहर के व्यक्ति को बेचने पर प्रतिबंध
गौशाला, पशु कल्याण संस्थाओं आदि को भी कोई मवेशी गोद देने के दौरान यह एफिडेविट देना होगा कि वह हत्या के लिए नहीं, बल्कि कृषि उद्देश्य से इस्तेमाल किया जाएगा. इस नियम के तहत राज्य से बाहर के व्यक्ति पर भी मवेशी बेचने पर रोक लगाइ गई है. राज्य सीमा के 25 किलोमीटर के भीतर पशु बाजार को भी प्रतिबंधित किया गया है.
किसान के दस्तावेजों की होगी जांच
पशु बाजार में मौजूद अधिकारियों को दस्तावेजों की जरिए मवेशी के खरीदार की जांच करनी होगी कि वह किसान है या नहीं. इस नोटिफिकेशन में मवेशी (कैटल) के तहत सांड, गाय, भैंस, बछड़े और ऊंट को रखा गया है. वहीं, बाजार को एक ऐसी जगह बताया गया है, जहां अलग-अलग जगहों से जानवर बेचने या निलामी के लिए लाए जाते हैं.