कांग्रेस मुक्त भारत का सपना देख रही भाजपा के सपने को कांग्रेस ने पंजाब में धराशायी कर दिया है। मोदी के विजय रथ का घोड़ा पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह ने रोक दिया है। भाजपा का शिअद संग गठबंधन की मोह ही पंजाब में इतनी बड़ी दुर्गति का कारण बना है। बड़ी वजह यह भी है कि भाजपा ने पंजाब में अन्य राज्यों की तरह पूरी तरह फोकस नहीं किया।
पंजाब में अकाली दल के साथ रहकर अपनी साख गिराने का परिणाम भाजपा को भोगना पड़ा है। पड़ोसी राज्य हरियाणा में भाजपा सरकार होने के बावजूद पंजाब में भाजपा सत्ता हासिल नहीं कर सकी। अन्य राज्यों की अपेक्षा भाजपा का फोकस भी पंजाब पर कम रहा है।
लोकसभा सीट पर भी नहीं बची प्रतिष्ठा
पंजाब में अमृतसर लोकसभा सीट पर भी भाजपा अपनी साख नहीं बचा सकी। अरुण जेटली के हारने के बाद दोबारा इस सीट पर कांटे का मुकाबला था। अमित शाह खुद इस सीट पर भाजपा लोकसभा प्रत्याशी के लिए झोली फैलाने आए, लेकिन सीट नहीं निकली।