नई दिल्ली । महाराष्ट्र के डांस बारों में महिला डांसरों पर प्रतिंबध लगाने वाले 2016 के कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने के लिए महिलाओं, डांसरो, गायकों और अन्य संगठनों में काम करने वाले अन्य कलाकारों के संगठन ने सुप्रीम कोर्ट का रूख किया है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के निर्णायक फैसले से पहले पुराने नियमों के तहत मुुंबई पुलिस की लाइसेंसिंग ब्रांच मे तीन बार को लाइसेंस दिया है। मुंबई के ताड़देव में इंडियाना, अंधेरी में एरो पंजाब और साइ प्रसाद शामिल हैं।
‘भारतीय बार गर्ल्स यूनियन’ बैनर के तहत इस संगठन के सदस्यों ने होटल, रेस्टोरेंट और बार रूम्स और महिला (वहां काम करने वाली) की गरिमा संरक्षण अधिनियम, 2016 के प्राविधानों की वैधता को चुनौती दी है। इस याचिका पर सोमवार को सुनवाई होगी।
एडवोकेट निखिल नय्यर के माध्यम से फाइल की गयी इस याचिका में एसोशियसन ने कहा है कि यह कानून अनुचित रूप से नाटकीय प्रदर्शन के माध्यम से अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के चुनाव और महिलाओं के अधिकार में हस्तक्षेप करता है। याचिका में कहा गया है कि ‘अश्लील डांस’ की परिभाषा काफी अस्पष्ट है, इसलिए इसका दुरुपयोग हो सकता है।
पिछले साल नवंबर में अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि 2016 के नियमों की जगह 2014 के नियमों के तहत डांस बार को लाइसेंस दिया जाए। सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले के बाद तीन डांस बार की तरफ से आवेदन आए जिन्हें लाइसेंस प्रदान किया गया।