लखनऊ।उत्तर प्रदेश में अगर कोई सबसे ज्यादा पीड़ित है तो वो व्यापारी है । इनका दुकान ही सहारा है जो तीन महीने से लॉकडाउन की वजह से बंद है। सरकार की मदद इन लोगो तक नही पहुचने भूखमरी के कागार पर आ गए है।
प्रदेश में ठेला,खोमचा और मिठाई की छोटे दुकानदार जिनकी पुस्तैनी कारोबार वर्षो से चला आ रहा है,लेकिन वैश्विक महामारी कोरोना वायरस ने इनकी रोज कमाओ डेली खाओ की आदत ने अचानक लॉकडाउन से इनको न घर का छोड़ा न ही घाट का। प्रधानमंत्री के आह्वान के बाद इनकी धंधा बन्द हो गई। रखी जमा-पूंजी कुछ ही दिन में भूख दूर करने में खत्म हो गई है । अब इन परिवार के लिए भूखे पेट सोने के अलावा कोई रास्ता नही बचा है। भारत सरकार ने इन दुकानदारो को 10 हजार की राशि देने की घोषणा तो की है,लेकिन यह धनराशि बैको को देने के लिए कोई सूचना अभी तक आई नही है।इससे व्यापारी समाज व छोटे दुकानदार आर्थिक रूप से पूरी तरह बर्बाद हो गए है।
बांसडीह के भामाशाह समाजसेवी विनय कुमार सोनी
ने कहा कि सरकार रेहड़ी और छोटे दुकानदारो को मिलने वाली 10 हजार की बिना व्याज की ऋण की कोई गाइडलाइन व्यापार मंडल तक नही मिली तो हमलोग कैसे इन व्यापारियों की मदद कर पाएंगे।
बैक सरकार द्वारा घोषित पैकेज केवल दिखावा रह गया हैं।
विजय कुमार गुल्लल ने कहा किि इन लोोंगो तक मदद पहुचाई नही गई तो भूख से लोग मरने लगेंगे।सरकार स्ट्रीट वेंडरों की मदद की खातिर इस स्कीम के लिए 5000 करोड़ रुपये की स्पेशल क्रेडिट फेसिलिटी देगी।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से 20 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज में से रेहड़ी-पटरी वालों और छोटे दुकानदारों के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस विशेष योजना का एलान किया।
विनय कुमार सोनी लॉकडाउन में जब से लॉकडाउन के हुआ इनका लंगर तीसरे लॉकडाउन तक चलता रहा। इसलिए इन्हें इलाकाई लोग भामाशाह की उपाधि दिया है।