चीन में जैसे ही कोरोना पीड़ितों के मामले बढ़ने लगे ताइवान ने अपने यहां के नागरिकों पर चीन, हांगकांग और मकाउ जाने पर बैन लगा दिया। इतना ही नहीं, ताइवान की सरकार ने सर्जिकल मास्क के निर्यात पर भी रोक लगा दी ताकि देश में इसकी कमी ना हो सके। उसी का नतीजा रहा कि वहां मास्क कम नहीं हुए, हालात खराब नहीं होने पाए। वैंग बताते हैं कि सरकार ने अपने संसाधनों को बहुत सोच समझ कर इस्तेमाल किया। ताइवान की सरकार ने नेशनल हेल्थ इंश्योरेंश, इमिग्रेशन और कस्टम के डेटा को कलेक्ट किया, लोगों की ट्रैवल हिस्ट्री को इससे जोड़कर मेडिकल अधिकारी पता लगा पाए कि किन-किन लोगों को संक्रमण हो सकता है, उसके बाद उसी हिसाब से उपाय किए गए।
शुरू में दक्षिण कोरिया में कोरोना संक्रमण के मामले तेजी से बढ़े. मगर इसने संक्रमण की पुष्टि के लिए टेस्ट विकसित किया और 2 लाख 90 हजार से अधिक लोगों का परीक्षण किया. हर रोज यहां करीब 10 हजार लोगों का मुफ्त परीक्षण हो रहा है.
नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ सिंगापुर में इमर्जिंग इन्फ़ेक्शियस डिज़ीज़िस के प्रोफ़ेसर ओई इंग इयॉन्ग कहते हैं, “जिस तरह से उन्होंने इंतज़ाम किए और जनता के टेस्ट करवाए, वह कमाल है.”
2015 में जब मिडल ईस्ट रेस्पिरेटरी सिंड्रॉम फैला था, तब दक्षिण कोरिया में 35 लोगों की मौत हुई थी. तभी से यहां संक्रामक बीमारियों के टेस्ट की मंज़ूरी के लिए विशेष सिस्टम है ताकि तुरंत टेस्ट किए जा सकें.