जमशेदपुर : माआेवादियों के झारखंड, बंगाल और ओड़िशा सीमा इलाके का जोनल सचिव, 25 लाख के इनामी नक्सली कान्हू मुंडा ने सात साथियों के साथ बुधवार को गुड़ाबांधा थाने के महेशपुर स्थित कोसाफालिया फुटबॉल मैदान में समर्पण कर दिया. उसके साथ 10 लाख के इनामी फोगड़ा मुंडा ने भी आत्मसमर्पण किया.
पूर्वी सिंहभूम के इतिहास में यह पहला मौका है, जब इतनी बड़ी संख्या में पुलिस के लिए सिरदर्द बने खूंखार नक्सलियों ने समर्पण किया हो. नक्सलियों के समर्पण को बड़ी कामयाबी मानी जा रही है. पुलिस के अनुसार गुड़ाबांधा दस्ते के समर्पण करने के साथ ही पूर्वी सिंहभूम जिले में नक्सलियों का आतंक खत्म हो गया.कान्हू के अलावा जितेन मुंडा (2 लाख) , शंकर मुंडा (2 लाख), शंकर की पत्नी काजल मुंडा, भोगलु सिंह ( 2 लाख ) और चुन्नू मुंडा ने भी समर्पण किया.
उल्लेखनीय है कि कान्हू मुंडा के समर्पण करने की खबर सुनकर बड़ी संख्या में लोग सुबह 9 बजे ही मैदान पर पहुँच गए. भारी संख्या में पुलिस बल की तैनाती कर दी गई थी.करीब 12 बजे कान्हू मुंडा ने एसएसपी अनूप टी मैथ्यू को आने की खबर भिजवाई. पहले उसने अपने सारे हथियार भिजवाए और पुलिस से वाहन भेजने को कहा.इसके बाद आठ गाड़ियों के काफिला के साथ वे मैदान आए. मुख्यधारा में आने पर एसएसपी अनूप टी मैथ्यू ने माला पहनाकर उनका स्वागत किया.
उधर,कान्हू मुंडा ने अपने नक्सली बनने की कहानी सुनाई.उसने कहा गांव में भूमि विवाद चल रहा था. इसमें पुलिस मुझको परेशान करने लगी. मेरे लोगों के साथ दुर्व्यवहार किया जाने लगा. इसके अलावा सरकारी दफ्तरों में काम नहीं होता था. छोटे काम के लिए पैसे मांगे जाते थे. मैंने पुलिस और सरकारी अफसरों को सबक सिखाने के उद्देश्य से बीडीओ प्रशांत लायक का अपहरण किया था.
अब समय बदल रहा है सरकार अच्छा काम कर रही है. भ्रष्टाचार में कमी आई है. गत दिनों चाकुलिया में मुख्यमंत्री रघुवर दास की सभा में उनकी बातें सुनी तो उत्साह जागा. इसके बाद मैंने आत्मसमर्पण करने की सोची.अपने साथियों से विचार किया. उनलोगों की सहमति पर समर्पण करने का मन बनाया.कान्हू अब समाज के लिए काम करना चाहता है, जरूरत पड़ी तो चुनाव भी लड़ेगा.अपने अन्य साथियों से भी अपील की कि वे समर्पण कर दें और समाज के मुख्यधारा से जुड़कर विकास का काम करें.