INDIA के किले में है 55 लाख करोड़ का खजाना,पाकिस्तान बोला-हमारा हिस्सा दो

देश jaigarh-4_1479838972के इतिहास के काले अध्याय यानी इमरजेंसी ने जयपुर की शान कहे जाने वाले जयगढ़ किले का एक राज भी समेट रखा है। इस महीने उस खजाने की तलाश को 40 साल पूरे हो रहे हैं, जो इंदिरा गांधी ने इस किले में करवाई थी। 10 जून 1976 को शुरू हुई तलाश नवंबर, 1976 में खत्म हुई थी। ऑफिशियली तो यह तलाश नाकामयाब करार दी गई, लेकिन कयास ये भी लगाए जाते हैं कि खजाना मिला और ‘ठिकाने’ भी लगा दिया गया। अंदाजन तब इस खजाने में 55 लाख करोड़ रुपए की दौलत रही होगी। जिसमें पाकिस्तान सरकार ने भी अपना हिस्सा मांगा था।

जयगढ़ किले में पांच महीने तक चली खुदाई के बाद केंद्र सरकार ने भले ये कहा हो कि कोई खजाना नहीं मिला, लेकिन जो सामान बरामद बताया गया अौर उसे जिस तरीके से दिल्ली भेजा गया, वह कई सवाल छोड़ गया। उस दौरान खजाने छुपे होने की खबर इस कदर फैली कि पाकिस्तान से सरकार ने भी एक लेटर लिखकर इसमें अपना हिस्सा मांगा था।
 
 दरअसल इमरजेंसी के दौरान स्वर्गीय संजय गांधी के नाम की तूती बोलती थी और जयपुर में यह बात आम हो चली थी कि संजय गांधी की निगरानी में सब कुछ हो रहा है और गड़ा हुआ धन इन्दिरा गांधी ले जाएंगी।- संजय गांधी विमान लेकर जयपुर दौलत बटोरने पहुंच गए हैं।
सेना के आला अफसर एक-दो बार निरीक्षण के लिए जयगढ़ आए और आस-पास हैलिकाॅप्टर से लैंडिंग की तो, यह अफवाह भी फैली की जयगढ़ में दौलत मिल गई है और सेना के हैलिकाॅप्टर इन्दिरा और संजय गांधी के आदेश पर माल दिल्ली ले जाने के लिए आए हैं।
खुदाई पूरी होने के बाद ये बताया गया कि महज 230 किलो चांदी और चांदी का सामान ही मिला है। सेना ने इन सामानों की सूची बनाकर और राजपरिवार के प्रतिनिधि को दिखाई और उसके हस्ताक्षर लेकर सारा सामान सील कर दिल्ली ले गई।
जब ट्रकों का काफिला दिल्ली लौटने लगा तो नए सिरे से अफवाह फैल गई कि जयपुर-दिल्ली का राजमार्ग पूरे दिन बन्द कर दिया गया और सेना के ट्रकों में जयगढ़ का माल छुपाकर ले जाया गया है। बताया जाता है कि इन्दिरा गांधी और संजय गांधी के आदेशानुसार दिल्ली छावनी में रख दिया गया।
अगस्त 11, 1976 को भुट्टो ने इन्दिरा गांधी को एक पत्र लिखा कि आपकी सरकार जयगढ़ में खजाने की तलाश रही है। पाकिस्तान अपने हिस्से की दौलत का हकदार इस कारण है कि विभाजन के वक्त ऐसी किसी दौलत की अविभाजित भारत को जानकारी नहीं थी।
विभाजन के पूर्व के समझौते के मुताबिक जयगढ़ की दौलत पर पाकिस्तान का भी हिस्सा बनता है। भुट्टो ने लिखा था कि ‘पाकिस्तान को यह पूरी उम्मीद है कि तलाश और खुदाई के बाद मिली दौलत पर पाकिस्तान का जो हिस्सा बनता है, उसे बगैर किसी शर्तों के दिया जाएगा। इन्दिरा गाँधी ने अगस्त में आई भुट्टो की चिट्ठी का जवाब ही नहीं दिया। 
 

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