नई दिल्ली: भारत की जमीन पर कब्जा करने का लालच पाकिस्तान ने वर्ष 1999 के कारगिल युद्ध (Kargil War) में दिखाया गया था और ये लालच पाकिस्तान की सेना पर कैसे भारी पड़ा. इसका खुलासा खुद पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ (Nawaz Sharif) ने किया है.
पाकिस्तान (Pakistan) के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने पहली बार ये खुलासा किया है कि कारगिल युद्ध के दौरान पाकिस्तान के सैनिक भूखे प्यासे लड़ रहे थे और उनके पास लड़ने के लिए हथियार तक नहीं थे. ये पाकिस्तान की वो सच्चाई है जिस पर वो अब तक पर्दा डालता आया है.
‘सैनिकों की मौत के लिए पाकिस्तान के ही कुछ जनरल जिम्मेदार’
पिछले कुछ दिनों से नवाज शरीफ लगातार पाकिस्तान की सेना और पाकिस्तान के सेनाध्यक्ष पर बड़े-बड़े आरोप लगा रहे हैं और अब उन्होंने कारगिल युद्ध की सच्चाई बताई है. वर्ष 1999 में कारगिल युद्ध के समय नवाज शरीफ पाकिस्तान के प्रधानमंत्री थे और जनरल परवेज मुशर्रफ, पाकिस्तान के सेना प्रमुख थे. नवाज शरीफ के मुताबिक कारगिल युद्ध में पाकिस्तान के सैकड़ों सैनिकों की मौत के लिए पाकिस्तान के ही कुछ जनरल जिम्मेदार थे. लेकिन 21 वर्षों के बाद नवाज शरीफ ने कारगिल का सच बताने का फैसला क्यों किया ?
नवाज शरीफ का हृदय परिवर्तन?
नवाज शरीफ का हृदय परिवर्तन नहीं हुआ है और आप ये न सोचिएगा कि वो पाकिस्तान का पूरा सच बताएंगे. वर्ष 1999 में पाकिस्तान की फौज कारगिल की चोटियों पर मौजूद भारतीय पोस्ट पर धोखाधड़ी से कब्जा कर रही थी. उस समय इसके आर्किटेक्ट नवाज शरीफ और जनरल परवेज मुशर्रफ ही थे. यानी एक तरह से कारगिल युद्ध का पूरा ऑपरेशन नवाज शरीफ और जनरल परवेज मुशर्रफ का जॉइंट वेंचर था. हालांकि एक होशियार नेता की तरह नवाज शरीफ ने कारगिल युद्ध को जनरल परवेज मुशर्रफ का प्लान बताया है. अगर तब पाकिस्तान की सेना, कारगिल की चोटियों पर कब्जा बनाए रखने में सफल हो जाती तो संभव है कि नवाज शरीफ आज इसका क्रेडिट खुद ले लेते.
कारगिल युद्ध की 5 बड़ी बातें
अब आपको कारगिल युद्ध की पांच बड़ी बाते बताते हैं-
– 21 वर्ष पहले मई 1999 में पाकिस्तानी सैनिकों ने आतंकवादियों के रूप में कारगिल में घुसपैठ की थी. पाकिस्तानी सैनिक, भारतीय सीमा में मौजूद कारगिल की चोटियों पर कब्जा करके बैठ गए थे.
– ये लेह से श्रीनगर को जोड़ने वाले नेशनल हाईवे को अपने नियंत्रण में लेना चाहते थे. ये हाईवे एक तरह से जम्मू-कश्मीर की लाइफलाइन है.
– उस वक्त अगर ऐसा हो जाता तो फिर सियाचिन में तैनात भारतीय सेना तक कोई भी सप्लाई नहीं पहुंच पाती और ये इलाका पूरी तरह देश के बाकी हिस्सों से कट जाता.
– कारगिल की लड़ाई में ही पहली बार बोफोर्स तोप का इस्तेमाल हुआ था और इससे पाकिस्तान की सेना को बहुत नुकसान हुआ. करीब 60 दिनों से ज्यादा चले कारगिल युद्ध में बोफोर्स तोपों ने लगभग ढाई लाख राउंड फायर किए. कहा जाता है कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद पहली बार किसी युद्ध में इतने अधिक राउंड फायर किए गए थे.
लेकिन करीब दो महीनों की लड़ाई और 527 सैनिकों की शहादत के बाद भारतीय सेना ने अपना इलाका पाकिस्तान के कब्जे से मुक्त करवा लिया. भारत ने पाकिस्तान से ये लड़ाई जीत ली.
26 जुलाई 1999 को युद्ध समाप्त होने के बाद कारगिल की कई चोटियों पर पाकिस्तान के सैनिकों के शव मौजूद थे. हालांकि तब पाकिस्तान ने अपने सैनिकों के शव को भी स्वीकार करने से मना कर दिया था और भारतीय सेना ने पाकिस्तान के इन सैनिकों के शवों को अपनी सैन्य परंपराओं के तहत दफनाया था.
\26 जुलाई 1999 को युद्ध समाप्त होने के बाद कारगिल की कई चोटियों पर पाकिस्तान के सैनिकों के शव मौजूद थे. हालांकि तब पाकिस्तान ने अपने सैनिकों के शव को भी स्वीकार करने से मना कर दिया था और भारतीय सेना ने पाकिस्तान के इन सैनिकों के शवों को अपनी सैन्य परंपराओं के तहत दफनाया था.