21 जून को एक तरफ पूरा देश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में योग दिवस मनाया, वहीं भोपाल में इसी दिन नीम के एक पेड़ का 25वां जन्मोत्सव मनाया। भोपाल में यह पेड़ पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ समाज में मेल जोल का भी संदेश देता है | नीम का यह पौधा मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के पिपलानी में आदर्श मार्केट में २१ जून १९९५ को रोपा गया था । मकसद था पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देना और नई पीढ़ी को संदेश देना कि पेड़ पौधों को अपनी संतान की तरह पालेंगे तो वे भी संतान की तरह ही आपका ख्याल रखेंगे। तभी से इसका जन्मदिन धूमधाम से मनाया जाता है। जन्मदिन पर आयोजित समारोह में व्यापारी सामूहिक रूप से केक काटते हैं और बांटते हैं पर्यावरण संरक्षण का संदेश। इसे व्यापारी अपनी संतान की तरह मानते हैं और देखरेख भी इसी तरह करते हैं। महत्वपूर्ण बात यह है कि इस पेड़ को लेकर लोगों की भावनाओं को कई निजी कंपनियां व पर्यावरण संरक्षण पर काम करने वाले एनजीओ भुनाने को तैयार हैं। वे खुद को बड़े स्तर पर पेड़ का बर्थडे मनाकर लाखों रुपया खर्च करने को भी तत्पर हैं, लेकिन इसके एवज में अपनी पब्लिसिटी भी चाहते हैं। नीम के पेड़ की देखरेख व रखरखाव करने वाले आदर्श मार्केट के व्यापारियों को ऐसे ऑफर मिलते रहते हैं। प्रलोभन भी दिया जाता है। कंपनियां कहती हैं हमारे साथ मिलकर नीम के जन्मदिन का बड़ा आयोजन कीजिए। इससे भोपाल ही नहीं, पूरे देश में आप लोगों का नाम रोशन होगा। लेकिन नीम के प्रहरियों को सादगी में ही संतोष है। श्लोक से मिली प्रेरणा
‘मूल ब्रह्मा, त्वचा विष्णु, सखा शंकरमेव च, पत्र-पत्रेका सर्वादेवनाम, वृक्षाराज नमस्तुते।’ आदर्श मार्केट के व्यापारियों को संस्कृत के इस श्लोक से नीम के पेड़ का पालन-पोषण करने की प्रेरणा मिली। इस श्लोक का अर्थ है कि पेड़ की जड़ में ब्रह्मा, त्वचा में भगवान विष्णु, शाखाओं में शिव और पत्तों में समस्त देवाताओं का वास होता है, इसलिए पेड़ों की वंदना व पूजा की जाती है। आदर्श मार्केट के व्यापारी सुधीर पांड्या, राजकुमार अग्रवाल, निरंजन करनानी और सरदार सिंह इसी श्लोक आदर्श वाक्य मानकर इस नीम के पेड़ को अपनी संतान मानते हैं। नहीं चाहते पब्लिसिटी
नीम के पेड़ का जन्मदिन मनाने की शुरुआत करने वाले भेल (भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड) के पूर्व समूह महाप्रबंधक विजय जोशी बताते हैं कि ऐसी कंपनियों व एनजीओ के पदाधिकारियों से हम यही निवेदन करते हैं कि आपके साथ जुड़कर नीम के पेड़ का जन्मदिन मना लेते है, लेकिन पेड़ पर हम कोई बैनर नहीं लगाने देंगे। बैनर नहीं लगाए जाने की बात सुनकर कंपनियां व एनजीओ अपने कदम पीछे खींच लेते हैं।