कोरोना के बीच संसद का मानसून सत्र 19 जुलाई से शुरू होकर 13 अगस्त तक चलने के आसार हैं। कैबिनेट कमेटी ऑन पार्लियामेंट्री अफेयर्स (CCPA) ने इसकी सिफारिश की है। करीब एक महीने के सत्र में 20 बैठकें होंगी। न्यूज एजेंसी PTI ने सूत्रों के हवाले से जानकारी दी है।
मानसून सत्र के दौरान पूरे संसद परिसर में कोरोना प्रोटोकॉल का ध्यान रखा जाएगा। उम्मीद की जा रही है कि सत्र में शामिल होने वाले सभी लोगों को कोरोना वैक्सीन की कम से कम एक डोज लग चुकी होगी।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने 18 जून को बताया था कि मानसून सत्र की सारी तैयारियां हो गई हैं। 445 सांसदों को वैक्सीन लग चुकी है। सचिवालय के सभी कर्मचारियों का भी वैक्सीनेशन हो गया है। जिन सांसदों और संसद में काम करने वाले लोगों को वैक्सीन नहीं लगी है, उन्हें भी जल्द लग जाएगी।
40 से ज्यादा बिल लंबित
सरकार ने मानसून सत्र में पारित होने वाले विधेयकों की प्लानिंग कर ली है। कोरोना की दूसरी लहर के कारण 40 से ज्यादा बिल और 4 अध्यादेश लंबित हैं। कोरोना के कारण तीन सत्रों को बीच में ही रद्द करना पड़ा था। 2020 का पूरा शीतकालीन सत्र ही रद्द कर दिया गया था।
ये जरूरी बिल लंबित
- किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) संशोधन विधेयक। इस विधेयक में बच्चों के सरंक्षण पर जोर देते हुए इसके उपायों पर बात की गई है।
- माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण और कल्याण (संशोधन) विधेयक। इस विधेयक में बच्चों को उनके माता-पिता की देखभाल के लिए हर महीने 10,000 रुपए तक देने के निर्देश दिए जा सकते हैं।
- नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मास्युटिकल एजुकेशन एंड रिसर्च बिल: कोलकाता, हैदराबाद, गुवाहाटी, अहमदाबाद, हाजीपुर, और रायबरेली के 6 निकायों को राष्ट्रीय महत्व के संस्थान घोषित करने पर आधारित।
- सहायक प्रजनन प्रौद्योगिकी (विनियमन) विधेयक: इस बिल के मुताबिक सभी सहायक प्रजनन प्रौद्योगिकी क्लिनिक और बैंक को भारत के बैंकों और क्लीनिकों की राष्ट्रीय रजिस्ट्री के तहत पंजीकृत किया जाना है।