इसके पीछे सांसद नीलम सोनकर का तर्क रहा कि आजादी के बाद से रेलवे जैसी सुविधा से लालगंज का क्षेत्र अछूता है। आवागमन की रेल जैसी व्यवस्था ना होने से आजमगढ़ समेत आसपास के क्षेत्रों के उद्योग पिछड़ गए हैं। इसमें प्रमुख रूप से मुबारकपुर का रेशम उद्योग, निजामाबाद की ब्लैक पॉटरी उद्योग, रानी की सराय और अतरौलिया क्षेत्र का जूट उद्योग आदि शामिल है। इसके अलावा रेल सुविधा ना होने से लालगंज समेत आसपास क्षेत्र के लोगों को अन्य महानगरों में जाने के लिए वाराणसी और आजमगढ़ की लंबी दूरी तय करके ट्रेन पकडऩी पढ़ती है।
क्षेत्र के ज्यादातर गांव देहात में रहने वाले लोगों को ट्रेन देखना भी नसीब नहीं है। सांसद के इस मुद्दे पर विचार करते हुए रेल मंत्री ने वाराणसी से लालगंज आजमगढ़ दोहरीघाट होते हुए गोरखपुर क्षेत्र को रेलवे लाइन से जोड़ने की मंजूरी दे दी। रेल मंत्री से अनुमति मिलने के बाद वाराणसी और गोरखपुर डिविजन की तरफ से सर्वे का पहला चरण जुलाई महीने के अंत में पूरा कर लिया गया। रिपोर्ट के मुताबिक रेलवे ट्रैक वाराणसी से गोरखपुर के बीच करीब 500 गांव से होते हुए गुजरेगी। जिन किसानों की जमीन से होते हुए रेल पटरी गुजरेगी उन्हें नेशनल हाईवे की तर्ज पर ही सर्किल रेट के मुआवजा दिया जाएगा। वाराणसी से लालगंज आजमगढ़ दोहरीघाट होते हुए गोरखपुर तक रेलवे ट्रैक बिछाने मैं करीब 12 सौ करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान है।