गंगोत्री धाम में बीते एक दसक से बन रही तपोवनम हिरण्यगर्भ आर्ट गैलरी (हिमालय तीर्थ ) बन कर तैयार हो चुकी है | करीब २.५ करोड की लागत से तैयार ये आर्ट गैलरी स्वामी सुन्दरानन्द ने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आर एस एस ) को सौप दी है | उन्होंने बताया की इसके संचालन के लिए उन्हें कोई योग्य शिष्य नहीं मिला इसी लिए ये गैलरी उन्हों ने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ को सौप दी है | उन्हों ने इसके उद्घाटन की संभावित तिथि १४ सितम्बर रखी है |उम्मीद है की प्रधान मंत्री स्वयं इस आर्ट गैलरी का उद्घाटन करने आ सकते है | स्वामी जी ने बताया की ५ मंजिला आर्ट गैलरी में ३ मंजिले ऐसी है जिसमे हिमालय की कंदराओं गुफाओ घाटिया लोक संसकृति व पौराणिक जीवन को जीवंत करती सैकड़ो दुर्लभ चित्र लगे हुए है |जबकि एक मंजिल पर योग हाल व अलग अलग ध्यान केंद्र बने हुए है | भारतीय संसद से लेकर यूरोप व अमेरिका में हिमालय की दुर्लभ तश्वीरो का स्लाइड शो दिखा चुके स्वामी सुन्दरानन्द ने आपने जीवन भर विकटताओ में ये तश्वीरे ली है | जिसमे सिर्फ गोमुख व गंगोत्री की ५० हजार से ज्यादा तश्वीरे है ओम पर्वत समेत एक दर्जन से अधिक चोटियों, ट्रैक रूट, ताल, बुग्याल, वन्य जीव, वनस्पति व पहाड़ की संस्कृति को दर्शाती तस्वीरें कैमरे में कैद की हैं।आंध्र प्रदेश के नेल्लोर जिले में स्थित अनंतपुरम गांव में वर्ष 1926 में जन्मे स्वामी सुंदरानंद को बचपन से ही पहाड़ लुभाते थे। पांच बहनों के अकेले भाई सुंदरानंद पढ़ाई के लिए अनंतपुरम, नेल्लोर व चेन्नई जाने के बाद भी सिर्फ चौथी कक्षा तक ही पढ़ पाए। वर्ष 1947 में उन्होंने घर छोड़ दिया और भुवनेश्वर, पुरी, वाराणसी व हरिद्वार होते हुए वर्ष 1948 में गंगोत्री पहुंचे। यहां तपोवन बाबा के सानिध्य में रहने के बाद उन्होंने संन्यास ले लिया। इसका उल्लेख स्वामी सुंदरानंद ने अपनी आत्मकथा में भी किया है