हमर मालिक के बचा द डॉक्टर साहेब, दम फुलहइ और सिलेंडरबो न लगलहई, मंगलवार की दोपहर वैशाली की रहने वाली चिंता देवी एनएमसीएच के मेडीसीन वार्ड से निकलते डॉक्टर को देखकर जमीन पर गिरकर विलाप करने लगती है।
कभी वह डॉक्टर साहब को देखती तो कभी एंबुलेंस में लेटे पति की ओर। उसकी गुहार को सुनकर डॉक्टर पास में खड़े सुरक्षा गार्ड को कुछ इशारा करते हुए आगे की ओर बढ़ गए। बाद में गार्ड ने पास आकर उस महिला से कहा, उधर देखो बेड फुल का नोटिस लगा है, अभी कोई बेड खाली नहीं है। थोड़ा देर इंतजार करो, कोई उपाय लगाते हैं।
इधर, एंबुलेंस में पड़े करीब 55 वर्षीय मरीज की सांसे तेज चल रही हैं। महिला एंबुलेंस में पड़े पति की हालत देखकर किसी को कॉल कर कहती है एइजा रुकल रहब तो हमर सुहाग न बची, जल्दी से कौनो प्राइवेट अस्पताल बताव। आसपास खड़े मरीज के तीमारदार भी बेबस महिला की मदद नहीं कर पा रहे हैं। एमसीएच बिल्डिंग से लेकर इमरजेंसी तक करीब एक दर्जन मरीज व उनके परिजन बेड खाली होने के इंतजार में बैठे हैं। जब भी गार्ड या कोई कर्मी वार्ड से बाहर निकलता है तो परिजनों में उम्मीद जगती है कि उसके मरीज को शायद बेड मिल जाएगा, पर हर बार निराशा हाथ लगती।
एंबुलेंस में पड़ी एक महिला के पास खड़ा युवक रो रहा है। पूछने पर कहता है कि उसकी मां की हालत सीरियस हो गयी है। डॉक्टर अंदर नहीं जाने दे रहे हैं। आप ही बताइए अब कहां लेकर जाएं। धूप और तपिश के बीच एंबुलेंस का आना जाना जारी है। कई लोग अपने मरीज को लेकर बेड मिलने के इंतजार में बरामदे में ही बैठे हैं।