उत्तराखंड सरकार ने इस साल सरकारी स्कूलों के छात्रों को मुफ्त किताबें खुद ही देने का निर्णय किया है। लेकिन जुलाई का महीना भी आधा बीत चुका है किताबों का कहीं अता पता नहीं है। सरकारी सिस्टम की सुस्त चाल महसूस कर रहे अभिभावक खुद ही जैसे तैसे बाजार से अथवा बड़े छात्रों से लेकर किताबों का इंतजाम कर रहे हैं। फुलसैनी के कारपेंटर जितेंद्र कुमार कहते हैं कि मेरे दो बच्चे स्कूल में पढ़ते हैं। मोबाइल से ऑनलाइन पढ़ाई तो हो नहीं पाती। इसलिए खुद ही किताबें ले आया हूं।
अब सरकार जाने कब तक किताबें देगी। केवल जितेंद्र कुमार नहीं बल्कि सरकारी स्कूलों में अपने बच्चों को पढ़ा रहे अधिकांश अभिभावक भी यही कर रहे हैं। मालूम हो कि कोरोना संकट के चलते सरकार ने इस साल डीबीटी योजना को बंद करते हुए छात्रों को खुद किताबें देने का निर्णय किया है। 22 जून को शिक्षा सचिव आर मीनाक्षीसुंदरम ने किताब प्रकाशन के लेकर टेंडर प्रक्रिया में छूट देते हुए एक हफ्ते में प्रक्रिया को शुरू करने के आदेश दिए थे। अब तक यह प्रक्रिया शुरू नहीं हो पाई। संपर्क करने पर शिक्षा निदेशक आरके कुंवर ने बताया कि प्रक्रिया नियमानुसार गतिमान है। जल्द ही टेंडर प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
मेरी दो बेटियां नवीं और दसवीं में पढ़ रहीं हैं। फिलहाल कुछ बड़ी कक्षा के छात्रों से किताबें ली हैं कुछ बाजार से खरीदी हैं। यदि सरकार भी जल्द मुहैया करा दे तो अच्छा ही है। बच्चों को कुछ लाभ ही होगा।