रबी की फसलों की सिंचाई के लिए जिले के नहर तथा उनसे जुड़ी माइनरों में पानी ही नहीं है। सिंचाई के पीक आवर में किसानों के लिए नहरें बेकार साबित हो रही है। सिंचाई के अभाव में फसलेें पीली हो रही है। वहीं सिंचाई विभाग के अधिकारियों का कहना है कि मुख्य नहर में पानी छोड़ दिया गया है। कुछ दिन में ही सभी माइनरों में पानी पहुंच जाएगा।
कहने को तो जिले में 391 किमी की तीन नहरों का जाल बिछा हुआ है। सफाई के नाम पर नहर काफी समय तक बंद रही, लेकिन सभी माइनरों की सफाई व मरम्मत नहीं हो सकी है। सिंचाई विभाग के अधिकारियों का दावा है कि मुख्य नहर में पानी छोड़ दिया गया है, लेकिन माइनरों में पानी कब तक पहुंचेगा अधिकारी बताने को तैयार नहीं है।
जिले में लगभग 92 हजार हेक्टेयर में गेेहूं की खेती की जाती है। इनके सिंचाई के लिए जिले में करोड़ों की लागत से बनी तीन नहरें हैं। इसके अलावा नहरों से जुड़ी 70 माइनरें हैं। चौधरी चरण सिंह पंप कैनाल दोहरीघाट नहर से मऊ और बलिया की हजारों हेक्टेयर की सिंचाई की जाती है। शारदा सहायक खंड 32 में कभी कभार ही पानी छोड़ा जाता है। खुरहट पंप कैनाल की भी स्थिति दयनीय है। सफाई के नाम पर नहर काफी समय तक बंद रही। लगभग तीस प्रतिशत से अधिक माइनरों की सफाई नहीं हो पाई है। किसानों की मानें तो नो मांग पर अचानक पानी छोड़े जाने पर माइनर ओवरफ्लो होना तय है।
अधिकारी बजट कम मिलने की बात कहकर इतिश्री कर ले रहे हैं। अगेती गेहूं के फसल की सिंचाई की सख्त जरूरत है। लेकिन अभी तक नहर, माइनर सूखी पड़ी है। इससे सिंचाई कार्य भगवान भरोसे चल रहा है। दिन रात के शेड्यूल में बिजली मिल रही है। किसान ठंड के चलते रात में सिंचाई करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं। दिन के समय भरपूर बिजली न मिलने से निजी संसाधनों से भी सिंचाई नहीं हो पा रही है।
किसानों की मानें तो जरूरत के समय नहर में पानी ही नहीं छोड़ा जाता है। नो डिमांड में सिंचाई विभाग माइनरों में पानी छोड़ता है। माइनरों की सफाई न होने से टेल तक पानी ही नहीं पहुंचता है। प्रतिवर्ष सफाई के अभाव में माइनरों के ओवरफ्लो होने से गेहूं की फसल पानी में डूब जाती है। इससे फसल पीली हो जाती है।
नहर में पानी छोड़ दिया गया है। नहर पूरी क्षमता से चलाई जा रही है। लगभग चार दिन में सभी माइनरों में पानी पहुंच जाएगा। अशोक कुमार, अधिशासी अभियंता, सिंचाई विभाग