सुप्रीमकोर्ट ने मंगलवार को उत्तर प्रदेश सरकार को पत्रकार सिद्दीक कप्पन के मेडिकल रिकॉर्ड जमा करने का निर्देश दिया है। कप्पन को पिछले साल हाथरस जाते वक्त गिरफ्तार किया गया था, जहां एक दलित युवती की गैंगरेप के बाद मौत हो गई थी।
केरल यूनियन ऑफ वर्किंग जनर्लिस्ट्स (केयूडब्ल्यूजे) का आरोप है कि कप्पन को अस्पताल में उसके बेड से जंजीर से बांधकर रखा गया। कप्पन को बाथरूम में गिरने के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया था और बाद में वह कोविड-19 से संक्रमित भी पाए गए।
उत्तर प्रदेश सरकार ने कप्पन को जंजीर से बांधने के आरोपों को खारिज कर दिया और कहा कि वह उनके मेडिकल रिकॉर्ड पर कल तक संक्षिप्त जवाब देगी। प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण, न्यायमूर्ति सूर्यकांत तथा न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना की पीठ ने राज्य सरकार की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को बुधवार तक मेडिकल रिकॉर्ड दाखिल करने का निर्देश दिया।
सुनवाई शुरू होने पर मेहता ने कहा कि उन्हें केयूडब्ल्यूजे द्वारा बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर करने पर आपत्ति थी क्योंकि कप्पन न्यायिक आदेश के तहत न्यायिक हिरासत में है। उन्होंने कहा कि इस मामले में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका का औचित्य नहीं है क्योंकि आरोपी न्यायिक हिरासत में है।
केयूडब्ल्यूजे की ओर से पेश वकील विल्स मैथ्यू ने कहा कि 20 अप्रैल को कप्पन बाथरूम में गिर गए और 21 अप्रैल को वह कोविड-19 से संक्रमित पाए गए। उन्होंने कहा कि कप्पन को अन्य राहत के साथ ही अपनी मां से वीडियो कांफ्रेंस पर बात करने की अनुमति भी दी जानी चाहिए।
पीठ ने मामले पर सुनवाई बुधवार के लिए स्थगित कर दी क्योंकि वीडियो कांफ्रेंस से संपर्क नहीं होने के कारण दलीलों की सुनवाई में दिक्कत आ रही थी। पीठ ने मैथ्यू को कहा, ”जब हम मामले को विस्तृत सुनवाई के लिए कल तक के लिए स्थगित कर रहे हैं तो आप अब दलील क्यों दे रहे हैं।
उसने मेहता से कप्पन के मेडिकल रिकॉर्ड बुधवार को दाखिल करने के लिए कहा, जिस पर सॉलिसिटर जनरल ने हामी भरी। कप्पन की पत्नी ने हाल ही में सीजेआई रमण को पत्र लिखकर अस्पताल से उन्हें तुरंत छुट्टी देने की मांग की थी। उन्होंने आरोप लगाया कि कप्पन को बिस्तर से जंजीर से इस तरह बांध कर रखा गया जैसे किसी जानवर को बांधा जाता है।