नई दिल्ली:
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने शुक्रवार को कश्मीर में नाबालिगों की गैरकानूनी हिरासत को लेकर दाखिल याचिका का निपटारा किया. जस्टिस एनवी रमणा की अगुवाई वाली तीन-सदस्यीय पीठ ने याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि अदालत को जो रिपोर्ट मिली है, उससे बेंच संतुष्ट है. किसी तरह के निर्देश देने की फिलहाल कोई जरूरत नहीं है.
सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर सरकार को निर्देश दिया कि नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरो साइंस (NIMHANS) के मानसिक रोग विशेषज्ञ (Psychiatrist) की सेवाएं मेडिकल अफसरों की जरूरत के मुताबिक उन्हें मुहैया कराई जाएं. इसके अलावा अगर किसी को कोई परेशानी हो तो वो उचित मंच पर मामला उठा सकता है. केस की सुनवाई खत्म होने के बाद बाल अधिकार कार्यकर्ता इनाक्षी गांगुली ने सॉलिसिटर जनरल से हाथ मिलाया|
बताते चलें कि बीती 5 नवंबर को शीर्ष अदालत ने जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय की चार सदस्यीय किशोर न्याय समिति को राज्य में अनुच्छेद-370 के अनेक प्रावधान रद्द करने के निर्णय के बाद सुरक्षा बलों द्वारा नाबालिगों को गैरकानूनी तरीके से हिरासत में रखने के आरोपों की नए सिरे से जांच का आदेश दिया था. न्यायमूर्ति एनवी रमण, न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी और न्यायमूर्ति बीआर गवई इस मामले की सुनवाई कर रहे थेसुप्रीम कोर्ट को सौंपी गई कमेटी की रिपोर्ट में अदालत को बताया गया था कि केंद्र सरकार द्वारा संविधान के अनुच्छेद-370 के प्रावधानों को निरस्त करने के बाद राज्य में 144 नाबालिग हिरासत मे लिए गए थे लेकिन इनमें से 142 को बाद में रिहा कर दिया गया था. दो नाबालिगों को बाल सुधार गृह भेजा गया था|