यूपी के गोरखपुर की रहने वाली युवती ने फरीदाबाद जीआरपी को दी गई शिकायत में बताया कि वह 18 अप्रैल को वैष्णो माता के दर्शन करने गई थी। 24 अप्रैल को वापसी में वह चंडीगढ़ मंशा देवी के दर्शन करने चली गई। वहां से दिल्ली आने के लिए कालका मेल में सवार हो गई, लेकिन गलती से करनाल स्टेशन पर उतर गई। रात करीब ढाई बजे वह पलवल से दिल्ली होते हुए कुरुक्षेत्र जा रही ईएमयू में बैठ गई। पहली बार में तो इस बात पर विश्वास ही नहीं हो रहा था जब पूरा घटनाक्रम सुना तो पैरों तले जमीन खिसक गई।
शहीद किशन पाल के 85 वर्षीय पिता रनवीर सिंह को तो रात्रि में इस बात की सूचना भी नहीं दी। भोर होने पर जब गांव तथा आसपास के लोग दरवाजे पर एकत्रित होने लगे तो पिता ने भीड का कारण पूछा। जैसे ही बेटे के शहीद होने की सूचना मिली तो वह रोने लगे।परिवार के लोगों के चुप कराने पर भी वह शांत नहीं हो रहे थे। पांच भाइयों में किशनपाल दूसरे नंबर का बेटा था। फोन पर पिता से अक्सर हाल लेता था। मां का निधन होने के बाद पिता किशनपाल कुछ अधिक ही ध्यान रखता था। मंगलवार को भाई देवेंद्र सिंह ने बताया कि नवंबर 2016 में छुट्टी पर आए थे। एक सप्ताह पूर्व फोन पर हुई वार्ता में बताया था कि 18 अप्रैल से 24 अप्रैल के बीच गांव में छुट्टी लेकर आने वाले थे।
नक्सलियों का हो सफाया
भाई देवेंद्र सिंह ने प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति से मांग की है कि मेरा भाई देश के लिए शहीद हो गया है, लेकिन सरकार कुछ ऐसा करें जिससे देश के अन्य सैनिक शहीद न हो सके। इन नक्सलियों का सफाया किया जाए। जो देश के हित की बात नहीं करता है वह देश में कैसे रह सकता है।