सरकार के प्रस्ताव पर बोले किसान- वो जिद्दी तो हम भी, कानून वापस लेना ही होगा!

कृषि कानून के खिलाफ दो हफ्ते से धरने पर बैठे किसान अभी तक नहीं माने हैं. सरकार ने अपनी ओर से कुछ संशोधन सुझाए हैं जिनपर किसान मंथन कर रहे हैं, हालांकि अबतक कुछ नरमी के संकेत नहीं दिखे हैं.

कृषि कानून के मसले पर केंद्र सरकार और किसानों के बीच वार्ता का दौर अब खत्म हुआ है और एक लिखित प्रस्ताव भेजा गया है. सरकार ने कृषि कानूनों में कुछ संशोधन सुझाए हैं और किसानों को भेजा है. लेकिन सुबह तक नरम रुख दिखाने वाले किसान अब वापस सख्ती अपना रहे हैं. किसानों का कहना है कि वो सरकार का प्रस्ताव जरूर देखेंगे, लेकिन उनकी मांग सिर्फ तीनों कानूनों को हटाने की है.
 
भारतीय किसान यूनियन के राकेश टिकैत का कहना है कि कृषि कानून का मसला किसानों की शान से जुड़ा है, ऐसे में वो इससे पीछे नहीं हटेंगे. सरकार कानून में कुछ बदलाव सुझा रही है, लेकिन हमारी मांग कानून को वापस लेने की है. राकेश टिकैत ने कहा कि अगर सरकार जिद पर अड़ी है तो हम भी अड़े हैं, कानून वापस ही होगा.

बता दें कि प्रस्ताव मिलने से पहले राकेश टिकैत ने कहा था कि उन्हें उम्मीद है कि किसानों और सरकार में बात बन जाएगी. और प्रस्ताव मिलने के बाद शाम तक कुछ नतीजा निकलेगा, हालांकि अब उनका रुख बदला हुआ दिख रहा है.

केंद्र द्वारा प्रस्ताव मिलने पर किसान नेता राजा राम सिंह ने भी कहा कि सरकार ने कुछ संशोधन सुझाए हैं जिनपर किसान चर्चा करेंगे. लेकिन उन संशोधनों में जमीन का मसला, आवश्यक वस्तु एक्ट को लेकर कुछ भी नहीं कहा गया है. सरकार इन कानूनों के साथ आगे बढ़ना चाहती है और राज्यों के हाथों से सभी शक्ति अपने पास लेना चाहती है. 

गौरतलब है कि किसानों और अमित शाह के बीच बीते दिन जो बैठक हुई, उसके बाद उम्मीद जताई जा रही थी कि कुछ नतीजा निकलेगा. बुधवार को किसानों को सरकार ने लिखित प्रस्ताव भेजा, जिनमें मांगों के अनुसार संशोधन किए गए. सरकार ने अपनी ओर से MSP, मंडी सिस्टम, कोर्ट जाने का रास्ता खुला रखने की बात कही है. 

सरकार की ओर से सुझाए गए कुछ ऐसे संशोधन: 
•    APMC एक्ट में बदलाव, फ्री मंडी में भी समान टैक्स, पहले फ्री मंडी में टैक्स नहीं था.
•    विवाद होने पर स्थानीय कोर्ट जाने का भरोसा, पहले सिर्फ SDM के पास जा सकते थे.
•    फ्री ट्रेडर्स के लिए रजिस्ट्रेशन सुविधा, पहले सिर्फ पैन कार्ड से काम चल सकता था.
•    कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग में बदलाव, किसान की जमीन की सुरक्षा का भरोसा.
•    MSP पर सरकार लिखित गारंटी देने को तैयार.
•    पराली जलाने के मसले पर सख्त कानून में नरमी.
•    आंदोलन के दौरान जिन किसान नेताओं पर केस दर्ज हुआ है, उनकी वापसी. 

दिल्ली के सिंघु बॉर्डर पर 40 किसान संगठनों की बैठक हो रही है, इनमें से 13 कल अमित शाह के साथ मीटिंग में मौजूद थे. राकेश टिकैत, मंजीत राय किसानों को बैठक की जानकारी देंगे, सरकार के प्रस्ताव पर चर्चा करेंगे. यहां योगेंद्र यादव और मेधा पाटकर भी मौजूद हैं.

आपको बता दें कि किसानों की ओर से लगातार कृषि कानूनों की वापसी की मांग की गई, MSP पर लिखित में गारंटी देने को कहा गया और उसे कानून का हिस्सा बनाने की मांग की गई. हालांकि, सरकार अपनी ओर से साफ कर चुकी है कि कानून में संशोधन हो सकता है लेकिन वापस नहीं हो सकते हैं.

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com