उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव की घोषणा के साथ ही समाजवादी पार्टी में बड़ा व्यापक फेरबदल हो गया है। अखिलेश यादव के मोर्चा संभाल लेने के बाद अब पाटी के मुखिया मुलायम सिंह यादव मागदर्शन मंडल में हैं। उनको पार्टी का सरंक्षक बनाया गया है। समाजवादी पार्टी के कार्यालय में कल नई नेम प्लेट भी लग गई। जिसमें मुलायम सिंह यादव को संरक्षक के रूप में दर्शाया गया है।
नेम प्लेट में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पर अखिलेश यादव तथा संरक्षक पर मुलायम सिंह यादव का नाम लिखा गया है। संरक्षक की नेम प्लेट ऊपर लगी है। उसके नीचे अध्यक्ष की नेम प्लेट है।
समाजवादी पार्टी दफ्तर पर पार्टी सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव की राष्ट्रीय अध्यक्ष वाली नेम प्लेट को हटा दिया गया है। समाजवादी पार्टी को अपने खून पसीने से सींचने वाले मुलायाम सिंह यादव अब घोषित तौर पर पार्टी के संरक्षक हैं।
कल से पहले तक समाजवादी पार्टी के दफ्तर में राष्ट्रीय अध्यक्ष के दो नेम प्लेट लगे थे। एक पर राष्ट्रीय अध्यक्ष के तौर पर मुलायम सिंह यादव का नाम लिखा था, तो उसके ठीक नीचे दूसरे नेम प्लेट पर राष्ट्रीय अध्यक्ष के तौर पर अखिलेश यादव का नाम लिखा था।
मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को एक जनवरी को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष घोषित होने के बाद सपा कार्यकर्ताओं ने पार्टी कार्यालय पर कब्जा
समाजवादी पार्टी में बड़ा परिवर्तन
समाजवादी पार्टी के रजत जयंती वर्ष में आने के साथ ही उसके रूप में बड़ा परिवर्तन होने लगा। समाजवादी पार्टी की सात अक्टूबर 1992 को लखनऊ में स्थापना की गई। देश के राजनैतिक इतिहास में यह महत्वपूर्ण अध्याय था। डेढ़-दो दशक से हाशिए पर जा चुके समाजवादी आंदोलन को मुलायम सिंह यादव ने पुनर्जीवित किया था। इसके अगले वर्ष ही 1993 में विधानसभा चुनावों में समाजवादी पार्टी का बहुजन समाज पार्टी से गठबंधन हुआ था। यह मोर्चा जीता नहीं और भारतीय जनता पार्टी भी सरकार बनाने से चूक गई। मुलायम सिंह यादव ने कांग्रेस और जनता दल दोनों का साथ लिया और प्रदेश के मुख्यमंत्री बन गए।