शिलान्यास के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि जब एक-एक जनप्रतिनिधि, अपना ज्ञान, बुद्धि, शिक्षा, अपना अनुभव पूर्ण रूप से यहां निचोड़ देगा, उसका अभिषेक करेगा, तब इस नए संसद भवन की प्राण-प्रतिष्ठा होगी.
आज देश के लोकतांत्रिक इतिहास का ऐतिहासिक दिन है. दिल्ली में संसद भवन की इमारत का आज भूमि पूजन और शिलान्यास किया गया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नए संसद भवन का भूमि पूजन किया. भूमि पूजन के बाद सर्वधर्म प्रार्थना सभा का आयोजन किया गया, जिसमें हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, जैन. बौद्ध, पारसी, बहाई समेत कई धर्मों की प्रार्थनाएं की गईं.
शिलान्यास के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत की एकता-अखंडता को लेकर किए गए उनके प्रयास, इस मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा की ऊर्जा बनेंगे. जब एक-एक जनप्रतिनिधि, अपना ज्ञान, बुद्धि, शिक्षा, अपना अनुभव पूर्ण रूप से यहां निचोड़ देगा, उसका अभिषेक करेगा, तब इस नए संसद भवन की प्राण-प्रतिष्ठा होगी. हमारा हर फैसला राष्ट्र प्रथम की भावना से ही होना चाहिए. हमारे हर फैसले में राष्ट्रहित सर्वोपरि रहना चाहिए. राष्ट्रीय संकल्पों की सिद्धि के लिए हम एक स्वर में खड़े हों , ये बहुत जरूरी है.
पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि मैं अपने जीवन में वो क्षण कभी नहीं भूल सकता जब 2014 में पहली बार एक सांसद के तौर पर मुझे संसद भवन में आने का अवसर मिला था. तब लोकतंत्र के इस मंदिर में कदम रखने से पहले, मैंने सिर झुकाकर, माथा टेककर, लोकतंत्र के इस मंदिर को नमन किया था. हमारे वर्तमान संसद भवन ने आजादी के आंदोलन और फिर स्वतंत्र भारत को घड़ने में अपनी अहम भूमिका निभाई है. आजाद भारत की पहली सरकार का गठन भी यहीं हुआ और पहली संसद भी यहीं बैठी.
पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि वर्षों से नए संसद भवन की जरूरत महसूस की गई है. ऐसे में हम सभी का दायित्व है कि 21वीं सदी के भारत को एक नया संसद भवन मिले. इसी कड़ी में ये शुभारंभ हो रहा है. पुराने संसद भवन ने स्वतंत्रता के बाद के भारत को दिशा दी, तो नया भवन आत्मनिर्भर भारत के निर्माण का गवाह बनेगा.पुराने भवन में देश की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए काम हुआ, तो नए भवन में 21वीं सदी के भारत की आकांक्षाएं पूरी की जाएंगी.
सरकार का लक्ष्य आजादी की 75वीं सालगिरह के मौके पर 2022 तक नई संसद भवन का निर्माण कार्य पूरा कर लेने की है, ताकि आजादी की 75वां सालगिरह के मौके पर नए संसद भवन में संसद का सत्र आयोजित हो सके. सरकार के मुताबिक मौजूदा संसद में जगह की भारी कमी है. पुरानी संरचना और जगह की कमी की वजह से आधुनिक जरुरतों के मुताबिक उसे तैयार करना भी मुश्किल है, इसलिए नए संसद भवन की जरुरत पड़ी.