शोध में खुलासा, जिन देशों में नहीं लगा बीसीजी का टीका, वहां ज्यादा है कोरोना का खतरा

cost of injection is 100 rs and expenses for it is 500 rs in KGMU ...

कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण के बीच अमेरिका में हुए शोध में चौंकाने वाली बात सामने आई है। टीबी जैसी गंभीर बीमारी से बचाव के लिए नवजात शिशु को दिया जाने वाला बीसीजी का टीका कोरोना वायरस संक्रमण में सुरक्षा के तौर पर सामने आया है। शोध के नतीजे उन देशों के लिए सुखद हैं जहां सालों से बीसीजी (बैसिलस कैलमेट-गुएरिन) के टीके लगते आए हैं।

वहीं जिन देशों के लोगों को कभी यह टीके नहीं लगे हैं उन्हें कोरोना से ज्यादा खतरा है। हालांकि अंतिम निष्कर्ष के लिए विस्तृत अध्ययन की बात कही गई है। यह टीका टीबी से बचाव के साथ-साथ सांस संबंधी संक्रमण से रक्षा करने में मदद करता है। यह बच्चे को जन्म के छह महीने बाद लगाया जाता है। यह शोध न्यूयॉर्क इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के डिपार्टमेंट ऑफ बायोमेडिकल साइंसेस की ओर से बीसीजी टीकाकरण वाली आबादी पर कोरोना संक्रमण के असर का विश्लेषण करने के लिए किया गया था।

इन देशों में कभी नहीं लगा टीका
अमेरिका, इटली, नीदरलैंड्स, बेल्जियम और लेबनान आदि देशों में यह टीका कभी नहीं लगाया गया। जिसके कारण वहां के लोग सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे। इन देशों में उन देशों की तुलना में चार गुना ज्यादा मामले सामने आएंगे जहां लंबे समय से यह टीका लगता आ रहा है। उन देशों में भी ज्यादा मामले सामने आएंगे जहां टीके पहले लगते थे लेकिन बाद में बंद हो गए।

क्या है भारत की स्थिति
भारत में आजादी के बाद से बीसीजी का टीका लगता आ रहा है। साल 1978 में इसे राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम में शामिल किया गया और यह अबतक जारी है। माना जा रहा है कि भारत को इसका लाभ मिलेगा।

कैसे हुआ शोध, क्या कहते हैं आंकड़े
इस शोध में अलग-अलग देशों की स्वास्थ्य सुविधाएं, टीकाकरण कार्यक्रमों और कोरोना संक्रमण के आंकड़ों का विश्लेषण किया गया। वैज्ञानिकों ने पाया कि बीसीजी टीकाकरण से टीबी के अलावा वायरल संक्रमण और सांस संबंधी सेप्सिस जैसी बीमारियों से लड़ने में भी मदद मिलती है। ऐसे में वैज्ञानिक बीसीजी टीकाकरण वाले देशों में कोरोना संक्रमण का खतरा कम होने की उम्मीद जता रहे हैं।

वैज्ञानिकों ने यह भी पाया कि जहां बीसीजी की शुरुआत पहले हुई, वहां कोरोना से हुई मौत के आंकड़े बहुत कम हैं। वहीं, इटली, अमेरिका, स्पेन जैसे देशों में बीसीजी टीकाकरण अभियान नहीं चलता, इसलिए यहां कोराना संक्रमण फैलने का खतरा ज्यादा है।

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