भिलाई। तालपुरी कालोनी निवासी कश्यप दंपती ने विलुप्त हो रही गौरैया चिड़िया को बचाने की अनूठी पहल की है। अपने घर की छत और आंगन में गौरेय्या के लिए उपयुक्त माहौल तैयार किया है। उनके खाने के लिए बाजरा और पानी के सकोरे रखे हैं। चार साल के जतन के बाद न सिर्फ गौरैया चिड़िया उनके घर पर आने लगी, बल्कि वहां रहकर अपना कुनबा भी बढ़ा लिया है। उनके घर की छत पर और आंगन में अभी करीब 30 से अधिक गौरैया चिड़िया ने अपना आशिनाया बनाया है। वे रोजाना सुबह निकलती हैं और शाम ढलने के पहले लौट आती हैं। सुबह उठने के लिए कश्यप दंपती को किसी अलार्म की जरूरत नहीं पड़ती, बल्कि वे गौरैया की चहचहाट से ही उठते हैं। राजेश कश्यप बीएसएनएल में एजीएम और उनकी पत्नी ममता कश्यप बिजली कंपनी में सहायक यंत्री हैं।
सुबह-सुबह घर पर गौरैया चिड़िया की चहक से तालपुरी रूआबांधा ए ब्लाक में रहने वाले कश्यप परिवार में ताजगी का संचार होने लगता है। यहां पर अच्छा वातावरण मिलने के कारण विलुप्त हो रही गौरैया चिड़िया ने अपना आशियाना बना लिया है ।
घरवालों को अपना लिया है गौरैया ने…
जिस तरह से कश्यप परिवार द्वारा गौरैया चिड़िया के लिए सारे इंतजाम किए गए हैं और उनकी देखरेख की जाती है। उसके बाद गौरैया चिड़िया का परिवार भी कश्यप परिवार को अपना मानने लगा है। खास बात यह है कि परिवार के लोगों के सामने वे आने जाने से परहेज नहीं करते हैं।
हमारे परिवार के लिए काफी शुभ है गौरैया…
ममता कश्यप बताती है कि घर पर जब से गौरैया चिड़िया ने अपना डेरा जमाया है। तब से उन्हें हमेशा अच्छी खबरें ही मिल रही है। वह कहती है कि गौरैया चिड़िया उनके लिए काफी शुभ है । सुबह-शाम वह गौरैया चिड़िया के आने जाने से काफी खुश रहती हैं।
चिड़िया के लिए लगाये पौधे..
घर के मुखिया राजेश कश्यप बताते हैं कि उनके यहां आंगन में काफी पौधे उन्होंने गौरैया के लिए लगाएं हैं , क्योंकि गौरैया चिड़िया छोटी-छोटी उड़ान भरती है । उसके लिए यह पौधे काफी सहायक होते हैं। पास- पास पौधे होने की वजह से गौरैया चिड़िया को यहां से वहां जाने में काफी सहूलियत होती है। उन्होंने बताया कि गौरैया चिड़िया की वजह से ही आज उनके यहां आंगन में हरा-भरा गार्डन है।