नई दिल्ली। वरिष्ठ वकील रहे राम जेठमलानी का 96 वर्ष की आयु में रविवार को निधन हो गया। बेटे महेश ने बताया कि उनके पिता का अंतिम संस्कार आज शाम को लोधी रोड श्मशान घाट पर किया जाएगा। वह सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता थे। बताया जा रहा है कि वह बीते कुछ समय से बीमार चल रहे थे। देश के नामी क्रिमिनल वकीलों में शुमार रहे जेठमलानी भाजपा की ओर से राज्यसभा सांसद भी रह चुके हैं।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पूर्व केंद्रीय मंत्री और एक अनुभवी वकील रामजठमलानी के निधन पर दुख व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि वे वाक्पटुता के साथ सार्वजनिक मुद्दों पर अपना विचार व्यक्त करने के लिए जाने जाते थे। राष्ट्र ने एक प्रतिष्ठित न्यायविद को खो दिया है।
पीएम मोदी ने राम जेठमलानी के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि देश ने एक असाधारण वकील और एक प्रतिष्ठित व्यक्ति को खो दिया है, जिन्होंने अदालतों और संसद में समृद्ध योगदान दिया है। उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने अनुभवी वकील और पूर्व केंद्रीय मंत्री राम जेठमलानी को उनके आवास पर श्रद्धांजलि दी। गृहमंत्री अमित शाह ने राम जेठमलानी को उनके आवास पर श्रद्धांजलि दी।
पाकिस्तान के सिंध में हुआ था जन्म
उनका जन्म 14 सितंबर 1923 को सिंध प्रांत में हुआ था। उन्होंने महज 18 साल की उम्र में ही वकालत करना शुरू कर दिया था। राम जेठमलानी ने एक बार बताया था कि उन्हें स्कूल में डबल प्रमोशन मिला था, इसके साथ ही 13 साल की उम्र में उन्होंने हाई स्कूल पास कर लिया था। महज 17 साल की उम्र में उन्हें एलएलबी की डिग्री मिल गई थी।
उस वक्त 18 साल से कम उम्र में वकालत की प्रैक्टिस करने की इजाजत नहीं थी, लिहाजा एक प्रस्ताव लाकर उन्हें प्रैक्टिस करने की अनुमति दी गई थी। उनके परिवार में एक बेटा महेश जेठमलानी है, जो प्रख्यात वकील हैं, वहीं एक बेटी अमेरिका में रह रही है। उनकी एक बेटी रानी जेठमलानी का पहले ही निधन हो चुका है।
कई हाई प्रोफाइल केस लड़े
राम जेठमलानी ने कई हाई-प्रोफाइल केस लड़े हैं, जिसमें सबसे अहम केस 1959 का केएम नानावटी वर्सेस स्टेट ऑफ महाराष्ट्र केस था। इस मामले में वह प्रॉसिक्यूटर थे। उनके अन्य हाई प्रोफाइल मामलों में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के हत्यारे का साल 2011 में मद्रास हाई कोर्ट में लड़ा गया मामला भी था।
स्टॉक मार्केट घोटाले में उन्होंने हर्षद मेहता और केतन पारेख का केस भी लड़ा था। उन्होंने अफजल गुरू की फांसी की सजा का केस भी लड़ा था और जेसिका लाल हत्याकांड में मनु शर्मा की ओर से भी वह पेश हुए थे। साल 2010 में उन्हें सुप्रीम कोर्ट बार काउंसिल का प्रेसिडेंट चुना गया था।
राजनीति में भी रहे सक्रिय
वह मुंबई से भाजपा के टिकट पर छठवीं और सातवीं लोकसभा में संसद के सदस्य चुने गए थे। अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार में वह केंद्रीय कानून मंत्री और शहरी विकास मंत्री भी रहे। बाद में साल 2004 में वह अटल बिहारी वाजपेयी के खिलाफ लखनऊ से आम चुनाव में खड़े हुए थे।