लखनऊ पीजीआई में लाखों रुपये के दवा घोटाले में किरकिरी के बाद संस्थान प्रशासन ने 18 संविदाकर्मियों को हटा दिया है। इसमें आठ कर्मी के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज हो चुकी है। पीजीआई में इन कर्मियों को रखने वाली कंपनी को नोटिस जारी किया गया है। पीजीआई प्रशासन ने यह कार्रवाई कमेटी की प्रारंभिक जांच के आधार पर की है।
पीजीआई में प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री कोष से मरीजों को इलाज के लिए मिलने वाली धनराशि पोस्ट डिपाजिट (पीडी) खाते से करीब 55 लाख रुपये की दवा निकाल ली गई है। यह दवाएं पर्चों पर डॉक्टरों के फर्जी हस्ताक्षर और मुहर से निकाली गई है। इसका खुलासा मरीज के पीडी खाते से रुपये गायब होने पर हुआ। मरीज ने इसकी शिकायत निदेशक डॉ. आरके धीमन से की। निदेशक ने निर्देश पर कमेटी जांच कर रही रही है।
एफआईआर कराए गए आठ कर्मचारियों के अलावा अन्य 10 की भूमिका भी संदिग्ध पाई गई है। जांच कमेटी की संस्तुति पर निदेशक ने सभी 18 संविदा कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया है। इनके संस्थान में प्रवेश पर पाबंदी लगा दी गई है। कार्यरत कंपनी को भी नोटिस भेजा गया है।
डॉ. आरके धीमन, निदेशक, पीजीआई
स्थायी कर्मियों को बचा रहा प्रशासन
संस्थान के कर्मचारियों का आरोप है कि दवा घोटाले में संविदाकर्मियों के साथ कई नियमित अधिकारी और कर्मचारी शामिल हैं। इनके निर्देश पर ही फर्मेसी कि दवाओं का वितरण करते हैं। डॉक्टरों के पर्चे और अन्य दस्तावेजों के मिलान की जिम्मेदारी इन्हीं की होती है। इनकी मांग है कि जांच कमेटी संविदाकर्मियों के साथ ही उनकी भी जांच करे।
इनसे जबरन लिखाया पत्र
सूत्रों का कहना है कि कमेटी के सामने पकड़े गए संविदाकर्मियों ने कई नियमित कर्मियों के नामों का खुलासा किया है। नियमित अफसरों व कर्मचारियों के फंसने के डर से संविदा कर्मियों से जबरन पत्र लिखवाया गया। जिसमें दवा घोटाले का सारा दोष इन संविदा कर्मियों पर मढ दिया गया। बाद में इनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करा दी गई। चर्चा है कि मरीजों के खाते से निकाले गए रुपये जमा कराकर नियमित कर्मचारियों को बचाने की कोशिश की जा रही है।
चतुर्थ श्रेणी कर्मी पर मेहरबान अफसर
नवीन ओपीडी की फर्मेसी में तैनात एक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी पर अधिकारी मेहरबान हैं। सूत्रों का कहना है दवा घोटाले में इसकी भूमिका संदेह के घेरे में है। इसकी जांच होनी चाहिए। इसके बावजूद इसे ओपीडी की फर्मेसी के साथ ही कोविड अस्पताल की फर्मेसी का प्रभार दे रखा। यह कर्मी संस्थान के एक बड़े अफसर के सहयोगी का करीबी है। जिसके बूते यह फर्मेसी के दूसरे कर्मियों पर रौब गांठता है औऱ धमकाता भी है।