लखनऊ में भूमाफियाओं की नजर तालाबों पर, 1600 से अधिक जलाशयों पर कब्जा

राजधानी में भू माफियाओं की नजर तालाबों को लग गई है। पिछले तीन दशकों में कई मशहूर तालाबों का अस्तित्व ही मिट गया। एक बार फिर तालाबों को उनके पहले की शक्ल दिलाने की कोशिश शुरू हुई है। मौजूदा समय राजधानी में कुल नौ हजार 591 तालाब हैं। प्रशासन के अनुसार 1614 तालाबों पर अतिक्रमण है। इनमें से 430 नगर निगम की सीमा में हैं शेष 1194 ग्रामीण इलाकों में हैं।

जिला प्रशासन अब अभियान चलाकर इन तालाबों को खाली कराएगा। एडीएम प्रशासन अमर पाल सिंह ने बताया कि अभियान 14 जून से शुरू हुआ है। रोजाना इसकी समीक्षा की जा रही है। कोशिश है कि सभी तालाबों और जलाशयों का मूल स्वरूप वापस लौटाया जाए। शहरी क्षेत्र में कुल 924 तालाब हैं। इनमें से 430 पर कब्जा है। इनमें से 69 का कब्जा हटाया जा चुका है। इसी तरह ग्रामीण इलाकों से 596 तालाबों से भू माफियाओं का कब्जा हटाया जा चुका है। 

लामार्टीनियर लेक, चिरैया झील गायब हो गईं

 करीब दो ढाई दशक पहले के कुछ जाने माने तालाब और झील आज तक याद हैं जिनका अस्तित्व ही खत्म हो चुका है। इनमें चांदगंज तालाब, अलीगंज के तालाके तालाब शामिल हैं। पर्यावरणविद और जीएसआई के पूर्व निदेशक वीके जोशी के अनुसार राजधानी कभी झीलों और तालाबों से पटी हुई थी।

लामार्टीनियर लेक की सैर करने कई लोग जाते थे। चिरैया झील सूख चुकी है। आशियाना और तेलीबाग के तालाब नजर नहीं आते। इन्दिरा नगर में जिसे पानी गांव कहा जाता है वहां छोटे छोटे 90 से अधिक तालाब थे जिनमें से अब एक भी नहीं बचा है। चिरैया झील कभी मशहूर थी जो शाहनजफ के पीछे तक थी।

घूमती गोमती ने बनाए थे बहुत से तालाब 

राजधानी में यहां की जीवनधारा गोमती ने कई तालाबों और झीलों को जन्म दिया। वीके जोशी के अनुसार गोमती की धारा बार बार घूमती थी। इसे घूमती नदी भी कहा जाता था। भू गर्भ विज्ञाान में ऑक्सबोलेक सिद्धांत है यानी नदी अपनी धारा को सीधी रखने की कोशिश करती है। इसी क्रम में जब धारा सीधी होती है तो तालाब – झील पीछे छूट जाते हैं। 

ग्रामीण इलाकों की शान कहे जाने वाले जलाशयों पर भी कब्जे

बीकेटी में शिवरही झील, देवरी रुख़रा,सौतल झील, उसरना,अल्दमपुर सहित पांच ग्राम पंचायते तक फैली यह झील जो कि बीकेटी क्षेत्र में वन्य जीवों के संरक्षण के लिए जानी जाती है । जिनमे कई प्रजातियों के देशी और विदेशी प्रजाति के सौलानी पक्षी पाए जाते है । यह आज अवैध कब्जे का शिकार है ।

प्रशासन इन सबको मुक्त नही करवा सका है । मोहनलालगंज कस्बे में 43 बीघा झील पर कब्जा है। कुछ लोगो ने फर्जी इंद्राज कर अपने नाम दर्ज करवा ली थी। मामला पकड़े जाने के बाद फर्जी नाम दर्ज करवाने वालो का नाम खारिज कर के तालाब के नाम 2019 मे दर्ज कर दिया। लेकिन कब्जा नही खाली हुआ। हुलास खेड़ा की करनेा झील पर भी कब्जा है।

मलिहाबाद तहसील के अन्तर्गत आने वाली मुजासा ग्राम पंचायत मे स्थित गडहा तालाब भी आज उपेक्षित है। घरों का कूडा निकालकर ग्रामीण इसी तालाब मे डाल रहे है। इसके किनारों पर अतिक्रमण भी जारी है।

कहां कितने तालाब-

मोहनलागलंज 3811
सरोजनीनगर 2078
बीकेटी 2163
सदर 706
मलिहाबाद 1333

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